
भारत के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में शामिल तिरुपति बालाजी मंदिर में अब श्रद्धालुओं को लंबे इंतजार से राहत मिलने वाली है। तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने मंदिर में भीड़ प्रबंधन को बेहतर बनाने और दर्शन व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक का सहारा लेने का निर्णय लिया है।
दर्शन प्रक्रिया में तकनीकी बदलाव
TTD के अध्यक्ष बीआर नायडू की अगुवाई में यह अहम निर्णय लिया गया है, जिसके तहत कार्यकारी अधिकारी जे. श्यामला राव ने इस योजना को लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके अंतर्गत मंदिर परिसर में एआई-संचालित कैमरे लगाए जाएंगे जो कंपार्टमेंट, प्रवेश मार्ग और निकासी क्षेत्र में रियल टाइम डाटा ट्रैक करेंगे।
क्या होगा AI कैमरों का काम?
इन कैमरों की मदद से निम्नलिखित बिंदुओं पर नजर रखी जाएगी:
- कतार में खड़े श्रद्धालुओं की संख्या
- स्लॉट बुकिंग और विशेष प्रवेश वाले दर्शनार्थी
- बिच में घुसने वाले अनधिकृत श्रद्धालु
- दर्शन कर चुके भक्तों का रिकॉर्ड
इस डेटा के माध्यम से श्रद्धालुओं को सटीक वेटिंग टाइम बताया जा सकेगा जिससे कतार में होने वाली अव्यवस्था और भ्रम कम होगा।
वर्तमान व्यवस्था की चुनौतियाँ
अब तक मंदिर प्रशासन के पास वैज्ञानिक तरीके से यह जानने का कोई साधन नहीं था कि प्रति घंटे कितने श्रद्धालु दर्शन कर पा रहे हैं। इससे व्यवस्था में बिचौलियों और अनधिकृत प्रवेश जैसे समस्याएं उत्पन्न हो रही थीं। AI तकनीक के प्रयोग से अब यह सब सुनियोजित और पारदर्शी होगा।
पायलट प्रोजेक्ट और भविष्य की योजना
प्रारंभिक चरण में जियो कंपनी ने एआई-आधारित फेशियल रिकग्निशन सिस्टम का परीक्षण किया है, जिसमें भक्तों की तस्वीरें रिकॉर्ड की गईं और प्रतिक्रिया सकारात्मक रही। अब इस तकनीक को व्यापक स्तर पर लागू करने के लिए ईओआई (Expression of Interest) मांगे गए हैं, जिनमें 3 से 4 कंपनियों ने रुचि दिखाई है।
क्या मिलेगा भक्तों को लाभ?
अगर यह प्रयोग सफल होता है, तो यह प्रणाली श्रद्धालुओं को वास्तविक समय में जानकारी देने में सक्षम होगी, अनधिकृत प्रवेश पर रोक लगेगी और दर्शन की प्रक्रिया अधिक सुव्यवस्थित बन जाएगी।
तिरुपति बालाजी मंदिर, जिसे श्री वेंकटेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, इस तकनीकी पहल के जरिए अब श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक अनुभव के साथ तकनीकी सुविधा भी प्रदान करेगा।