मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा का विशेष सत्र आज से शुरू हुआ, जिसमें 170 विधायकों का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया। समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अबू आजमी ने भी विधायक पद की शपथ ली। इसी दौरान उन्होंने महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन से अलग होने की घोषणा कर सबको चौंका दिया।
अबू आजमी ने क्यों छोड़ा महाविकास अघाड़ी?
अबू आजमी ने स्पष्ट किया कि वह उद्धव ठाकरे की शिवसेना की “कट्टर राजनीति” से तंग आ गए हैं और इसलिए महाविकास अघाड़ी से अलग होने का फैसला लिया। यह कदम महाविकास अघाड़ी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
गठबंधन में तालमेल की कमी का आरोप
अबू आजमी ने महाविकास अघाड़ी पर चुनाव के दौरान समन्वय की कमी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा:
- एकजुटता का अभाव: “गठबंधन में किसी भी चुनाव के लिए एकजुटता जरूरी है, लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं दिखा।”
- प्रचार में समन्वय की कमी: “महाविकास अघाड़ी के नेता एक-दूसरे के उम्मीदवारों के मंच पर प्रचार करते नहीं दिखे।”
- सीटों के बंटवारे में रस्साकशी: उन्होंने आरोप लगाया कि सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान हुई, जिससे गठबंधन कमजोर हुआ।
महाविकास अघाड़ी की विफलता पर निशाना
आजमी ने कहा कि महाविकास अघाड़ी के नेताओं के बीच समन्वय की कमी और चुनावी रणनीति में खामियों के कारण गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा।
विधायक पद की शपथ और अघाड़ी की ताकत में कमी
महाविकास अघाड़ी ने पहले चुनाव नतीजों पर सवाल उठाते हुए शपथ ग्रहण से दूरी बनाई थी। हालांकि, अबू आजमी ने विधायक पद की शपथ लेकर गठबंधन से पूरी तरह अलग होने का संकेत दे दिया।
सूत्रों के अनुसार, अबू आजमी और भिवंडी पूर्व निर्वाचन क्षेत्र के विधायक रईस शेख के अघाड़ी छोड़ने से महाविकास अघाड़ी की ताकत और कमजोर हो गई है।
क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार?
अबू आजमी का यह कदम महाविकास अघाड़ी के लिए एक और झटका है। गठबंधन की मौजूदा स्थिति पर राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आंतरिक विवाद और समन्वय की कमी जारी रही, तो यह भविष्य में और नुकसानदेह साबित हो सकता है।
निष्कर्ष: अबू आजमी के इस फैसले ने न सिर्फ महाविकास अघाड़ी के संगठनात्मक ढांचे पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि गठबंधन की एकता और भविष्य की रणनीति पर भी गंभीर चिंतन की आवश्यकता है।