कोलकाता मेडिकल संस्थानों में उग्र आंदोलन: जूनियर डॉक्टरों के समर्थन में वरिष्ठ डॉक्टरों का सामूहिक इस्तीफा, 10 सूत्रीय मांगों को लेकर स्वास्थ्य सेवाओं पर संकट
Fierce agitation in Kolkata medical institutions: Mass resignation of senior doctors in support of junior doctors, crisis in health services due to 10 point demands

कोलकाता: आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में जूनियर डॉक्टरों द्वारा 10 सूत्रीय मांगों को लेकर चल रहे आमरण अनशन ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में संकट की स्थिति उत्पन्न कर दी है। जूनियर डॉक्टरों ने अपनी मांगों पर ध्यान नहीं दिए जाने के कारण अनशन शुरू किया, जिसमें बेहतर कामकाजी परिस्थितियां, सुरक्षा सुनिश्चित करना, और चिकित्सा सुविधाओं में सुधार जैसी प्रमुख मांगें शामिल हैं। इन मांगों को लंबे समय से नजरअंदाज किया जा रहा था, जिसके चलते डॉक्टरों ने यह कठोर कदम उठाया।
स्थिति तब और गंभीर हो गई जब लगभग 50 वरिष्ठ डॉक्टरों ने मंगलवार को अपने पद से सामूहिक इस्तीफा दे दिया। उन्होंने जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन का समर्थन करते हुए यह कदम उठाया, जिससे यह मुद्दा और भी व्यापक बन गया। वरिष्ठ डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे ने न केवल आरजी कर अस्पताल की सेवाओं को प्रभावित किया, बल्कि पूरे राज्य में इसका असर पड़ रहा है।
इस आंदोलन की लहर अब कोलकाता के अन्य प्रमुख अस्पतालों में भी फैल रही है। कलकत्ता मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ डॉक्टरों ने भी अपने पदों से सामूहिक इस्तीफा देकर जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन के प्रति अपनी एकजुटता और समर्थन प्रकट किया है। वरिष्ठ डॉक्टरों का यह समर्थन जूनियर डॉक्टरों की मांगों को और मजबूती प्रदान करता है, जिससे आंदोलन की तीव्रता बढ़ गई है। यह इस्तीफे राज्य सरकार पर दबाव बढ़ाने की रणनीति के रूप में देखे जा रहे हैं।
जूनियर डॉक्टरों ने अपनी मांगों के बारे में स्पष्ट किया है कि वे तब तक पीछे नहीं हटेंगे जब तक कि उनकी 10 सूत्रीय मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती। इन मांगों में कामकाजी माहौल में सुधार, अस्पताल में आवश्यक सुरक्षा उपायों को लागू करना, और मरीजों की देखभाल की गुणवत्ता में सुधार करने जैसे मुद्दे प्रमुख हैं।
सरकार और प्रशासन द्वारा कई बार आंदोलनकारियों से वार्ता करने की कोशिश की गई, लेकिन अभी तक कोई ठोस हल नहीं निकल पाया है। राज्य सरकार इस मामले को सुलझाने के लिए उच्च-स्तरीय बैठकें कर रही है, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक वे अपने आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे।
आंदोलन के बढ़ते प्रभाव के कारण राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं गंभीर रूप से प्रभावित हो रही हैं, विशेष रूप से आरजी कर मेडिकल कॉलेज और कलकत्ता मेडिकल कॉलेज जैसे प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में। मरीजों को इलाज के लिए भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, और सरकारी अस्पतालों की सेवाएं ठप होने की कगार पर हैं।
राज्य सरकार पर अब यह दबाव है कि वह इस गंभीर स्थिति का शीघ्र समाधान निकाले। वहीं, डॉक्टरों के बढ़ते असंतोष और इस्तीफों ने प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह स्थिति जल्द ही नियंत्रित नहीं की गई, तो राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं पर इसका दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।