
राज्य के मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन ने कहा है कि राज्य सरकार के लिए परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और सुचिता सर्वोपरि है तथा अभ्यर्थियों का हित हमेशा प्राथमिकता में रहेगा। गत रविवार को सम्पन्न परीक्षा के दौरान उठी शिकायतों के मद्देनज़र सरकार ने इस मामले में कठोर और निष्पक्ष कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है।
मुख्य सचिव ने मीडिया से बातचीत में बताया कि शिकायतों की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (SIT) गठित की गई है, जिसका नेतृत्व एडिशनल एसपी स्तर के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उक्त SIT का क्षेत्रगत दायरा पूरे प्रदेश को कवर करेगा और टीम को आवश्यक स्वतंत्रता व संसाधन दिए गए हैं ताकि जांच पूरी पारदर्शिता के साथ की जा सके।
SIT की निष्पक्षता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए जांच की निगरानी एक हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज के द्वारा की जाएगी। मुख्य सचिव ने कहा कि सेवानिवृत्त जज और SIT की टीम सभी जिलों का निरीक्षण करेंगे और इस दौरान कोई भी व्यक्ति परीक्षा से संबंधित तथ्य, जानकारी या शिकायत सीधे उन्हें दे सकता है।
उन्होंने आगे बताया कि जांच एक माह के भीतर पूर्ण कर ली जाएगी और इस अवधि के दौरान उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKPSC) परीक्षा के संबंध में किसी भी प्रकार की आगे की कार्रवाई नहीं करेगा। जांच समाप्त होने पर दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक नीतिगत व प्रशासनिक कदम उठाए जाएंगे।
मुख्य सचिव ने विशेष रूप से कहा कि विवादों के केंद्र में रहे हरिद्वार के परीक्षा केंद्र पर जो भी लापरवाही या अनियमितता उजागर होगी, उसके पीछे जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ भी कानूनी व प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी। सरकार का संदेश स्पष्ट है — छात्रों का हित सर्वोपरि है और जनता का परीक्षा प्रणाली में विश्वास बनाए रखना सरकार की प्राथमिकता है।
अंत में उन्होंने अभ्यर्थियों तथा उनके परिजनों से अपील की कि जो भी सुसंगत जानकारी या साक्ष्य उनके पास हों, वे SIT और जांच अंगों के समक्ष प्रस्तुत करें ताकि जांच पूरी तरह से तथ्यनिष्ठ और निष्पक्ष रहे।