
छपरा: बिहार के अमनौर प्रखंड के लहेर छपरा गांव के अभिषेक कुणाल ने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर अपने माता-पिता का सपना पूरा किया है। यह प्रेरणादायक कहानी है एक ऐसे व्यक्ति की जो गरीबी से निकलकर सफलता की नई ऊंचाइयों को छूने में सफल रहा। अभिषेक अब लखनऊ में सैन्य अधिकारी के रूप में ट्रेनिंग ले रहे हैं।
गरीबी के बावजूद शिक्षा में दी पूरी सहायता
अभिषेक के पिता सुरेश प्रसाद यादव ने अपनी छोटी सी स्टेशनरी दुकान चलाकर बेटे की पढ़ाई में पूरी मदद की। पहले वह प्राइवेट नौकरी करते थे, लेकिन परिवार के खर्चे और बच्चों की पढ़ाई के खर्च को देखते हुए उन्होंने नौकरी छोड़कर अपने गांव में दुकान खोल ली। फुलझड़ी देवी, अभिषेक की मां, गांव में सिलाई-मशीन चलाकर घर का खर्चा चलाती थीं। उनकी कड़ी मेहनत और बेटे की लगन ने आखिरकार उसे इस मुकाम तक पहुंचाया।
अभिषेक का संघर्ष और सफलता
अभिषेक ने गांव के स्कूल से मैट्रिक की पढ़ाई की और फिर आगे की पढ़ाई के लिए पटना गए। बचपन से ही उनका सपना सेना में अधिकारी बनने का था, लेकिन पहले प्रयास में वह सफल नहीं हो पाए। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार प्रयास करते रहे। उन्होंने सेना में हवलदार क्लर्क के रूप में नौकरी की, लेकिन उनका सपना हमेशा अधिकारी बनने का था। आखिरकार, अपने दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से उन्होंने यह सपना पूरा किया और लेफ्टिनेंट बन गए।
सेना में अधिकारी बनने के लिए किया था कड़ी मेहनत
अभिषेक के पिता ने कहा, “जब हमारे बेटे ने सेना में अधिकारी बनने के बाद बैज अपने कंधे पर लगाया, तो हम दोनों की आंखों में खुशी के आंसू थे। यह हमारे परिवार की मेहनत का फल है।” उनका बड़ा भाई मुकेश कुमार भी सेना में क्लर्क हैं और पंजाब में पोस्टेड हैं।
अभिषेक कुणाल की सफलता न सिर्फ उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे जिले के लिए प्रेरणा का स्रोत है। अब वह एक सफल सैन्य अधिकारी बनने की राह पर हैं, और उनके संघर्ष ने यह साबित कर दिया कि मेहनत और आत्मविश्वास से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।