नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए 18 दिसंबर को बीजिंग में विशेष प्रतिनिधि (SR) स्तर की वार्ता आयोजित की जाएगी। इस बैठक का आयोजन पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के कुछ क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी और हाल ही में हुई रचनात्मक चर्चाओं के बाद हो रहा है। पांच साल के लंबे अंतराल के बाद इस वार्ता का आयोजन दोनों देशों के बीच संबंध सुधार की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।
भारत की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल इस बैठक का नेतृत्व करेंगे, जबकि उनके चीनी समकक्ष और विदेश मंत्री वांग यी वार्ता में भाग लेंगे। यह बैठक द्विपक्षीय संबंधों में व्याप्त तनाव को कम करने और सीमा विवाद पर आपसी समाधान तलाशने पर केंद्रित होगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-चीन के बीच सीमा तनाव को कम करना दोनों देशों के लिए रणनीतिक रूप से आवश्यक है। रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) जीडी बख्शी के अनुसार, चीन की बढ़ती चुनौतियों और भारत की सैन्य दृढ़ता ने चीन को रणनीति पर पुनर्विचार के लिए मजबूर किया है। उन्होंने कहा कि सीमा पर शांति स्थापित करना दोनों देशों के लिए लाभदायक है, क्योंकि लंबे समय तक सैनिकों की तैनाती आर्थिक और सामरिक दृष्टि से कठिन होती जा रही है।
भारत के लिए यह बैठक भू-राजनीतिक संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। चीन विशेषज्ञ जयदेव रानाडे का कहना है कि हालिया महीनों में डेमचोक और देपसांग जैसे विवादित बिंदुओं से सैनिकों की वापसी आशाजनक संकेत हैं, लेकिन हमें अभी भी लंबी यात्रा तय करनी है। उनका मानना है कि भारत का उद्देश्य अप्रैल 2020 की स्थिति को बहाल करना है, हालांकि यह प्रक्रिया तत्काल संभव नहीं है और इसके लिए विश्वास बहाली के ठोस प्रयासों की जरूरत होगी।
इस बैठक का वैश्विक परिदृश्य पर भी व्यापक असर होगा। रानाडे ने कहा कि अमेरिका और यूरोप इसे भारत के एक संतुलित और तटस्थ रुख के संकेत के रूप में देख सकते हैं। हालांकि, भारत के लिए अमेरिका के साथ मजबूत संबंध सर्वोच्च प्राथमिकता बने रहेंगे। इसके साथ ही चीन के साथ सीमा विवाद में शांति स्थापित करना भी भारत की रणनीतिक जरूरत है।
18 दिसंबर की यह वार्ता भारत और चीन के बीच स्थिरता और विश्वास बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकती है। दोनों देशों के बीच सैनिकों की वापसी और तनाव कम करने के प्रयास भविष्य में क्षेत्रीय शांति के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं।