
नांदेड़: महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के डोंगरगांव के किसान बालाजी महादेव ने यह साबित कर दिया है कि पारंपरिक खेती से अलग हटकर औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती किसानों के लिए समृद्धि का मार्ग खोल सकती है। उन्होंने अमेरिकन चिया, अश्वगंधा और इटैलियन तुलसी जैसी औषधीय फसलों की खेती कर न केवल अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत की, बल्कि अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है।
पारंपरिक खेती को छोड़, नई राह अपनाई
बालाजी महादेव ने पारंपरिक खेती के बजाय औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती करने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने पांच एकड़ के खेत में अमेरिकन चिया, अश्वगंधा, इटैलियन तुलसी, कलौंजी, इसबगोल और ओवा जैसी छह अलग-अलग फसलें उगाईं। इस खेती में उन्होंने मात्र 30 हजार रुपये का निवेश किया और यह प्रयोग उनके लिए बेहद फायदेमंद साबित हुआ।
25 लाख रुपये की आय की उम्मीद
बालाजी महादेव की मेहनत रंग लाई और उनका यह प्रयोग सफल रहा। उन्होंने बताया कि इस समय फसल की कटाई चल रही है और उन्हें इस खेती से लगभग 25 लाख रुपये की आय होने की उम्मीद है। उनकी इस सफलता ने अन्य किसानों के लिए भी एक नई राह खोल दी है।
अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बने बालाजी महादेव
बालाजी महादेव ने अन्य किसानों से भी पारंपरिक खेती के बजाय नए प्रयोग करने और औषधीय खेती को अपनाने की अपील की। उनका मानना है कि यदि किसान औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती को अपनाते हैं, तो इससे उनकी आय में कई गुना वृद्धि हो सकती है।
औषधीय खेती के प्रमुख लाभ
- कम लागत: पारंपरिक खेती की तुलना में औषधीय खेती में निवेश कम होता है।
- ज्यादा मुनाफा: औषधीय जड़ी-बूटियों की बाजार में अधिक मांग होती है, जिससे किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं।
- स्वास्थ्य के लिए लाभदायक: इन फसलों का औषधीय महत्व अधिक होता है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
- पर्यावरण के अनुकूल: यह खेती जैविक होती है और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में सहायक होती है।
बालाजी महादेव द्वारा उगाई गई प्रमुख जड़ी-बूटियां
- अमेरिकन चिया: एक सुपरफूड जिसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड, एंटीऑक्सीडेंट और प्रोटीन भरपूर मात्रा में होते हैं।
- अश्वगंधा: प्रतिरक्षा बढ़ाने और तनाव कम करने के लिए उपयोगी औषधीय जड़ी-बूटी।
- इटैलियन तुलसी: एक सुगंधित जड़ी-बूटी जिसका उपयोग भोजन और औषधीय उपचार में किया जाता है।
औषधीय खेती से जुड़ी चुनौतियां
- बाजार की जानकारी: किसानों को इन फसलों के सही बाजार मूल्य और मांग की जानकारी होनी चाहिए।
- तकनीकी ज्ञान: जड़ी-बूटी की खेती और प्रसंस्करण के लिए उचित तकनीकी ज्ञान आवश्यक है।
- सरकारी सहायता: किसानों को औषधीय खेती के लिए सरकार की ओर से मिलने वाली योजनाओं और अनुदानों की जानकारी होनी चाहिए।
बालाजी महादेव की सफलता इस बात का प्रमाण है कि अगर किसान पारंपरिक खेती से हटकर नवाचारों को अपनाते हैं, तो वे अपनी आर्थिक स्थिति को तेजी से सुधार सकते हैं। औषधीय खेती न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि यह स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी लाभदायक साबित हो सकती है।