
उत्तराखंड सरकार ने इस वर्ष की चारधाम यात्रा को प्रदूषण मुक्त और पर्यावरण-संवेदनशील बनाने के लिए कमर कस ली है। राज्य सरकार यात्रा को “ग्रीन चारधाम यात्रा” का स्वरूप देने जा रही है, जिसमें प्लास्टिक का प्रयोग खत्म करने, साफ-सफाई बनाए रखने और शुद्ध खाद्य पदार्थों की उपलब्धता सुनिश्चित करने जैसे कदमों के साथ अब बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों पर ग्रीन सेस लगाने की योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
प्रदूषण से निपटने को अपनाया जाएगा स्मार्ट सिस्टम
चारधाम यात्रा के दौरान लाखों श्रद्धालु देशभर से निजी और व्यावसायिक वाहनों से उत्तराखंड पहुंचते हैं, जिससे राज्य के पहाड़ी इलाकों में वायु प्रदूषण में वृद्धि देखी जाती है। इसे ध्यान में रखते हुए परिवहन विभाग एक स्वचालित डिजिटल प्रणाली के माध्यम से ग्रीन सेस वसूलने जा रहा है, जिससे न तो वाहनों को रोकने की आवश्यकता होगी और न ही लंबी कतारें लगेंगी।
कैसे होगा ग्रीन सेस का संग्रहण?
राज्य की सीमाओं पर ANPR (ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन) कैमरे लगाए गए हैं, जो वाहनों की नंबर प्लेट को स्कैन करेंगे। इसके बाद सॉफ्टवेयर द्वारा वाहन की जानकारी फास्ट टैग से लिंक की जाएगी और निर्धारित सेस की राशि संबंधित खाते से स्वत: काट ली जाएगी। यह प्रक्रिया कुछ ही सेकंड में पूरी होगी, जिससे यातायात अवरुद्ध नहीं होगा और यात्रियों को असुविधा भी नहीं होगी।
चारधाम यात्रा के साथ होगी प्रणाली की शुरुआत
ग्रीन सेस प्रणाली के लिए जिस सॉफ्टवेयर का निर्माण किया जा रहा है, वह अंतिम चरण में है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, इस प्रणाली का परीक्षण, ट्रायल और सुरक्षा ऑडिट आगामी कुछ महीनों में पूरा कर लिया जाएगा और चारधाम यात्रा के शुरू होते ही इसे लागू कर दिया जाएगा।
वाहनों पर शुल्क की संरचना तय
परिवहन विभाग ने विभिन्न श्रेणियों के वाहनों के लिए ग्रीन सेस की दरें निर्धारित कर दी हैं:
- तिपहिया वाहन – ₹20
- कार एवं हल्के निजी वाहन – ₹40
- मध्यम वाणिज्यिक वाहन – ₹60
- भारी वाहनों – ₹80
यह सेस सिर्फ एक बार उत्तराखंड में प्रवेश के समय ही वसूला जाएगा।
किसे मिलेगी छूट?
कुछ वाहन ग्रीन सेस से पूरी तरह मुक्त रहेंगे:
- उत्तराखंड में रजिस्टर्ड दोपहिया और अन्य वाहन
- केंद्र सरकार द्वारा छूट प्राप्त वाहन
- BH सीरीज वाले पंजीकृत वाहन
- सीमावर्ती क्षेत्रों में नियमित रूप से आने-जाने वाले दोपहिया वाहन
राज्य को मिलेगा बहुआयामी लाभ
ग्रीन सेस प्रणाली से राज्य को दो प्रमुख लाभ मिलेंगे। पहला – इससे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा और दूसरा – राज्य को अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। साथ ही यह प्रणाली बाहरी वाहनों की निगरानी को भी आसान बनाएगी, जिससे राज्य में वाहनों की वास्तविक संख्या और यातायात प्रबंधन में भी सुधार होगा।
राज्य सरकार की स्मार्ट और सतत यात्रा की दिशा में पहल
उत्तराखंड सरकार की यह पहल आने वाले वर्षों में चारधाम यात्रा को न केवल अधिक सुव्यवस्थित बनाएगी बल्कि इसे पर्यावरणीय रूप से भी टिकाऊ बनाएगी। आने वाले समय में यह मॉडल देश के अन्य पर्यटन स्थलों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है।