
नई दिल्ली: भारत पर साइबर खतरे की रफ्तार तेज़ होती जा रही है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान समर्थित हैकरों ने भारत पर करीब 1.5 मिलियन (15 लाख) साइबर हमले किए हैं। ये हमले पिछले कुछ महीनों में खासतौर पर बढ़े हैं, जिनका लक्ष्य था भारत की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और सूचना तंत्र को कमजोर करना।
सरकारी और संवेदनशील संस्थानों पर रहा मुख्य निशाना
रिपोर्ट के मुताबिक, इन साइबर हमलों का मुख्य केंद्र भारत के सरकारी विभाग, रक्षा संस्थान, बैंकिंग सेक्टर और स्वास्थ्य सेवाएं रहे। हैकर्स ने फिशिंग, रैनसमवेयर, मैलवेयर और डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (DDoS) जैसे तरीकों का उपयोग किया। कई हमलों के पीछे पाकिस्तान से संचालित APT ग्रुप्स (एडवांस्ड परसिस्टेंट थ्रेट) का हाथ बताया जा रहा है।
साइबर सुरक्षा एजेंसियों ने बढ़ाई सतर्कता
भारतीय साइबर सुरक्षा एजेंसियों जैसे इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT-In) और राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (NTRO) ने इन हमलों को रोकने के लिए सक्रियता बढ़ा दी है। गृह मंत्रालय ने सभी सरकारी विभागों को चेतावनी जारी कर दी है और डिजिटल सुरक्षा के लिए नए प्रोटोकॉल लागू करने के निर्देश दिए हैं।
साइबर युद्ध बनता जा रहा है नई चुनौती
विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल तकनीकी हमला नहीं, बल्कि एक प्रकार का डिजिटल युद्ध है। इसका उद्देश्य केवल डेटा चोरी नहीं, बल्कि भारत के डिजिटल बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाना और जनता में अस्थिरता फैलाना है। यह स्थिति भारत के लिए साइबर डिफेंस को और सशक्त करने का संकेत देती है।
जनता को भी बरतनी होगी सतर्कता
सरकार ने आम नागरिकों से अपील की है कि वे अनजाने ईमेल, लिंक या मोबाइल मैसेज पर क्लिक करने से बचें और अपने डिजिटल उपकरणों में एंटीवायरस सॉफ्टवेयर व दो-स्तरीय सुरक्षा (2FA) को सक्रिय रखें।
15 लाख साइबर हमलों का यह आंकड़ा भारत के लिए एक बड़ा अलार्म है। अब समय आ गया है कि साइबर सुरक्षा को राष्ट्रीय सुरक्षा के बराबर महत्व दिया जाए और डिजिटल मोर्चे पर भी हमारी तैयारी पूरी हो।