
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का एक चौंकाने वाला बयान सामने आया है, जिसने न केवल अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है, बल्कि पाकिस्तान की आतंकवाद से जुड़ी नीतियों पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं। एक मीडिया साक्षात्कार में जब उनसे पाकिस्तान की आतंकवादी संगठनों के साथ भूमिका पर सवाल किया गया, तो उन्होंने स्वीकार किया कि “हम तीन दशकों से अमेरिका का गंदा काम कर रहे हैं।”
इस कथन ने साफ कर दिया कि अफगान युद्ध और वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ अभियान के दौरान पाकिस्तान की भूमिका सिर्फ एक ‘सहयोगी’ की नहीं, बल्कि एक सक्रिय क्रियान्वयनकर्ता की थी। रक्षा मंत्री के अनुसार, पाकिस्तान ने अमेरिका के हितों की रक्षा के लिए कई बार ऐसे काम किए जो नैतिक या अंतरराष्ट्रीय कानूनों के दायरे में नहीं आते।
अतीत की भूमिका पर उठे सवाल
इस बयान के बाद पाकिस्तान की नीतियों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना शुरू हो गई है। कई विश्लेषकों का मानना है कि यह कबूलनामा उस लंबे समय से चली आ रही धारणा की पुष्टि करता है कि पाकिस्तान ने आतंकवादी समूहों का इस्तेमाल एक रणनीतिक उपकरण के रूप में किया है – चाहे वह अफगानिस्तान हो या भारत के खिलाफ।
भारत ने पहले ही जताई थी आशंका
भारत लंबे समय से पाकिस्तान पर आतंकवाद को “राज्य प्रायोजित नीति” के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाता रहा है। इस बयान के बाद भारत के सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह पाकिस्तान की सच्चाई को उजागर करता है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अब और भ्रम में नहीं रहना चाहिए।
अमेरिका की प्रतिक्रिया पर निगाहें
अब सबकी निगाहें अमेरिका पर टिकी हैं कि वह इस बयान पर क्या प्रतिक्रिया देता है। अगर यह बयान सच मान लिया जाता है, तो यह अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों में एक नया मोड़ ला सकता है, खासकर ऐसे समय में जब क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर वैश्विक चिंता बढ़ रही है।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री की यह स्वीकारोक्ति न केवल उनकी विदेश नीति की असलियत दिखाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि भू-राजनीतिक रिश्तों में ‘हित’ अक्सर नैतिकता से ऊपर रखा जाता है।