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देहरादून की हवा में घुलता जहर: बाहरी वाहनों और ट्रैफिक से बढ़ता वायु प्रदूषण बना चिंता का विषय

Poison dissolved in the air of Dehradun: Increasing air pollution from outside vehicles and traffic has become a matter of concern

देहरादून, 21 जून 2025: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून अपने शांत वातावरण और सुहाने मौसम के लिए जानी जाती रही है। हर साल हजारों पर्यटक और रिटायर्ड लोग यहां बसने की चाह लेकर आते हैं। लेकिन बीते कुछ वर्षों में यह तस्वीर बदलती जा रही है। खासकर वीकेंड पर बाहर से आने वाली गाड़ियों के दबाव ने देहरादून की हवा को जहरीला बना दिया है। वायु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े इस बदलती आबोहवा की पुष्टि करते हैं।

वीकेंड पर बढ़ता वायु प्रदूषण

शनिवार और रविवार को देहरादून में ट्रैफिक का दबाव सबसे अधिक रहता है। खासतौर पर मसूरी और यमुनोत्री जाने वाले पर्यटकों की वजह से राजपुर रोड, घंटाघर और एयरपोर्ट मार्ग पर घंटों जाम लगता है। इस ट्रैफिक का सीधा असर शहर की वायु गुणवत्ता पर पड़ता है। मई और जून माह में कई दिन ऐसे रहे जब पीएम-10 और कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर निर्धारित सीमा से ऊपर चला गया। उदाहरण के लिए, 1 जून को पीएम-10 का स्तर 79 तक पहुंच गया, जबकि कार्बन मोनोऑक्साइड 15 तक दर्ज की गई।

क्या है पीएम-10 और कार्बन मोनोऑक्साइड?

पीएम-10 यानी 10 माइक्रोन से छोटे कण जो हवा में तैरते रहते हैं। ये कण जब सांस के साथ शरीर में प्रवेश करते हैं तो फेफड़ों पर गंभीर असर डालते हैं। वहीं कार्बन मोनोऑक्साइड एक अदृश्य, बिना गंध वाली जहरीली गैस है, जो अधजले ईंधन, रसोई गैस या वाहनों से निकलती है। यह शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति को बाधित करती है और कई गंभीर बीमारियों की वजह बन सकती है।

650 से अधिक वाहन जब्त, दो करोड़ का जुर्माना

परिवहन विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्रवाई भी तेज हो गई है। देहरादून आरटीओ संदीप सैनी के अनुसार, राज्य के बाहर से आने वाले प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ सख्त कदम उठाए गए हैं। अब तक 650 से ज्यादा गाड़ियां जब्त की जा चुकी हैं और करीब दो करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला गया है। सैनी ने यह भी कहा कि शहर की स्वच्छ हवा को बनाए रखना सिर्फ प्रशासन नहीं, बल्कि सभी नागरिकों की साझा जिम्मेदारी है।

शहर को बचाने की जरूरत

देहरादून की पहचान उसकी साफ हवा और हरियाली रही है। यदि समय रहते प्रदूषण पर अंकुश नहीं लगाया गया तो यह प्राकृतिक खूबसूरती और स्वास्थ्य के लिहाज से हानिकारक हो सकता है। जरूरत है कि न केवल प्रशासन बल्कि आम नागरिक भी जागरूक होकर वाहन प्रयोग और पर्यावरण संरक्षण को लेकर सतर्कता बरतें।

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