
144 साल बाद आयोजित महाकुंभ के अवसर पर प्रयागराज में आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए यह शहर अद्भुत अनुभव प्रदान करता है। त्रिवेणी संगम में अमृत स्नान के बाद, यहां के प्रमुख स्थलों का भ्रमण अवश्य करें। यह शहर न केवल पवित्र तीर्थों का केंद्र है, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों से भी समृद्ध है।
1. बड़े हनुमान जी का मंदिर
त्रिवेणी संगम के पास स्थित यह 600-700 साल पुराना मंदिर बेहद लोकप्रिय है। इसे “लेटे हनुमान जी” के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि लंका विजय के बाद हनुमान जी ने यहां विश्राम किया था। यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।
2. मनकामेश्वर मंदिर
यमुना नदी के किनारे स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि यहां शिव की आराधना से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह स्थान स्कंद पुराण और पद्म पुराण में वर्णित कामेश्वर धाम से जुड़ा हुआ है।
3. खुसरो बाग
लुकरगंज में स्थित खुसरो बाग मुगल वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है। जहांगीर के पुत्र खुसरो को विद्रोह के बाद यहीं नजरबंद किया गया था। यहां उनकी याद में खूबसूरत बगीचा और मकबरा बनाया गया है।
4. चंद्रशेखर आजाद पार्क
133 एकड़ में फैला यह पार्क स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक प्रमुख स्थल रहा। वर्ष 1931 में यहीं क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों से लड़ते हुए बलिदान दिया। इसे “शहीद पार्क” भी कहा जाता है।
5. आनंद भवन
1930 में मोतीलाल नेहरू द्वारा निर्मित यह भवन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र रहा है। इसे संग्रहालय का रूप दिया गया है, जहां पंडित नेहरू और उनके परिवार से जुड़ी कई वस्तुएं देखी जा सकती हैं।
6. श्री अखिलेश्वर महादेव मंदिर
तेलियरगंज में स्थित यह मंदिर गुलाबी पत्थरों और संगमरमर से निर्मित है। शिवलिंग और सफेद संगमरमर से बनी मूर्ति यहां की खासियत है। शाम के समय यह मंदिर प्रकाश व्यवस्था के कारण और भी खूबसूरत लगता है।
7. इलाहाबाद का किला (अकबर किला)
1583 में मुगल सम्राट अकबर द्वारा निर्मित यह किला त्रिवेणी संगम के पास स्थित है। यहां हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां और अद्भुत वास्तुकला पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।
8. भारद्वाज पार्क
महर्षि भारद्वाज के आश्रम के नाम पर बने इस पार्क का पौराणिक महत्व है। राम, सीता और लक्ष्मण ने चित्रकूट जाते समय यहां आशीर्वाद लिया था। यहां महर्षि भारद्वाज की भव्य प्रतिमा भी स्थित है।
9. न्यू यमुना ब्रिज
नैनी को प्रयागराज से जोड़ने वाला यह पुल भारत के सबसे लंबे केबल स्टे पुलों में से एक है। शाम के समय यहां से सूर्यास्त और ब्रिज की रोशनी का नजारा अद्भुत होता है।
10. सरस्वती घाट
मनकामेश्वर मंदिर के पास स्थित इस घाट से गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम और पुल का नजारा बेहद खूबसूरत दिखाई देता है।
सारांश:
प्रयागराज की इन धरोहरों के दर्शन तीर्थ और पर्यटन, दोनों का अनुभव कराते हैं। यह शहर न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है, बल्कि भारत के इतिहास और संस्कृति का प्रतीक भी है। महाकुंभ के दौरान यहां की यात्रा एक अविस्मरणीय अनुभव होगी।