नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रूस के कजान शहर का दौरा करेंगे। विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को इस यात्रा की घोषणा करते हुए कहा कि 22-23 अक्टूबर को आयोजित होने वाले इस शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स के नेता प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगे। इस शिखर सम्मेलन का विषय “न्यायसंगत वैश्विक विकास और सुरक्षा के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना” है, जिसमें ब्रिक्स द्वारा शुरू की गई पहलों की प्रगति का आकलन और नए सहयोग क्षेत्रों की पहचान की जाएगी।
यह शिखर सम्मेलन इसलिए भी खास है क्योंकि इसमें इथियोपिया, मिस्र, ईरान, और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जैसे नए सदस्यों की पहली भागीदारी होगी। इसके अलावा, सऊदी अरब को भी शामिल होने का निमंत्रण दिया गया था, लेकिन उसने अब तक कोई औपचारिक निर्णय नहीं लिया है।
ब्रिक्स का गठन मूल रूप से सदस्य देशों के निवेश अवसरों की पहचान के लिए किया गया था, लेकिन अब यह संगठन एक भू-राजनीतिक गुट के रूप में उभर चुका है। ब्रिक्स की सदस्यता में दुनिया की लगभग 30% भूमि और 45% जनसंख्या आती है, जिससे यह जी7 जैसे समूहों का सबसे बड़ा भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी माना जाता है।
इस बार शिखर सम्मेलन में एक और अहम पहल, ‘ब्रिक्स पे’ पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यह एक नई अंतर-देशीय भुगतान प्रणाली है, जिसे ब्रिक्स देशों के बीच सीमापार लेन-देन को सरल और स्वतंत्र बनाने के लिए तैयार किया जा रहा है। इसका उद्देश्य पश्चिमी वित्तीय प्रणालियों, जैसे स्विफ्ट (SWIFT), का विकल्प तैयार करना और अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता को कम करना है।
ब्रिक्स पे: एक नई वैश्विक भुगतान प्रणाली की दिशा में कदम
ब्रिक्स पे एक विकेंद्रीकृत और स्वतंत्र भुगतान प्रणाली होगी, जिसे ब्रिक्स देशों के सहयोग से विकसित किया जा रहा है। यह प्रणाली यूरोप की स्विफ्ट और भारत के यूपीआई की तर्ज पर काम करेगी। इसका उद्देश्य ब्रिक्स देशों के बीच डिजिटल भुगतान को सुरक्षित, तेज और पारदर्शी बनाना है, साथ ही अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता को कम करना है।
इस भुगतान प्रणाली को 2018 में ब्रिक्स बिजनेस काउंसिल द्वारा लॉन्च किया गया था और इसे ब्रिक्स के सदस्य देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के वित्तीय और तकनीकी विशेषज्ञों के सहयोग से विकसित किया जा रहा है।
ब्रिक्स पे की विशेषताएं और उद्देश्य
ब्रिक्स पे को एक मोबाइल भुगतान प्रणाली के रूप में तैयार किया जा रहा है, जो ब्रिक्स देशों के मौजूदा घरेलू भुगतान प्लेटफॉर्म को सक्षम बनाएगी। यह उपयोगकर्ताओं को उनकी स्थानीय मुद्राओं में सीमा पार लेनदेन करने की अनुमति देगा, जिससे सदस्य देशों के बीच भुगतान करना अधिक सरल और पारदर्शी होगा। यह प्रणाली संभवतः ब्लॉकचेन जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग करेगी, ताकि वित्तीय लेनदेन में अधिक सुरक्षा और दक्षता सुनिश्चित की जा सके।
ब्रिक्स पे की संरचना में रूसी रूबल, चीनी युआन, भारतीय रुपया, ब्राजीलियाई रियल और दक्षिण अफ्रीकी रैंड जैसी विभिन्न मुद्राओं के साथ काम किया जाएगा। इससे इन देशों के बीच मुद्रा विनिमय और व्यापारिक लेनदेन की प्रक्रिया को सुगम बनाया जा सकेगा।
भविष्य की ओर: वैश्विक वित्तीय प्रणाली का नया रूप
ब्रिक्स पे परियोजना का मुख्य उद्देश्य वैश्विक वित्तीय प्रणालियों में बहुध्रुवीयता लाना और पश्चिमी देशों के प्रभुत्व वाली वित्तीय प्रणालियों के विकल्प के रूप में उभरना है। इसके जरिए ब्रिक्स देश अपने आर्थिक संबंधों को और मजबूत करेंगे, साथ ही वे अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता को कम कर अपनी वित्तीय संप्रभुता बढ़ाने का प्रयास करेंगे।
शिखर सम्मेलन में इस परियोजना पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, और यह देखा जाएगा कि ब्रिक्स सदस्य देश अपने अंतरराष्ट्रीय व्यापार को अमेरिकी डॉलर के बजाय अपनी राष्ट्रीय मुद्राओं में निपटाने की दिशा में कितनी प्रगति कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा के दौरान भारत के वैश्विक वित्तीय और व्यापारिक मामलों में सक्रिय भागीदारी के संकेत मिल रहे हैं।