
हरिद्वार में सामने आया बड़ा खुलासा, जिलाधिकारी से तत्काल कार्रवाई की मांग
हरिद्वार: नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा नदी को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। ताजा मामला हरिद्वार के दयानंद आश्रम के पास स्थित एक एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) से जुड़ा है, जहां से बिना किसी फिल्टरिंग के गंदा पानी सीधे मां गंगा में छोड़ा जा रहा है।
यह वीडियो दिनांक 28 अप्रैल का है और सोशल मीडिया पर सामने आते ही तेजी से वायरल हो गया। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि प्लांट से निकलने वाला गंदा पानी किसी भी प्रकार के शोधन के बिना सीधे गंगा में मिलाया जा रहा है। इससे न केवल गंगा की पवित्रता को ठेस पहुंच रही है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन भी गम्भीर खतरे में पड़ रहा है।
नमामि गंगे मिशन पर उठे सवाल
सरकार द्वारा बहुचर्चित नमामि गंगे मिशन के तहत गंगा सफाई के लिए बड़े पैमाने पर फंड आवंटित किया गया था। लेकिन अगर हरिद्वार जैसे तीर्थस्थल पर ही इस तरह की लापरवाही हो रही है, तो यह सवाल उठता है कि इन हजारों करोड़ रुपयों का सही इस्तेमाल हुआ भी या नहीं। स्थानीय नागरिकों और गंगा प्रेमियों ने इस मामले पर गहरी नाराजगी जताई है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
जिलाधिकारी से मुकदमा दर्ज करने की मांग
स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी से मांग की है कि इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और एजेंसियों के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज किया जाए। उनका कहना है कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो गंगा को स्वच्छ बनाने का सपना अधूरा ही रह जाएगा और नमामि गंगे जैसी योजनाएं केवल कागजों तक ही सीमित रह जाएंगी।
कई अन्य नालों का भी वही हाल
यह सिर्फ एक एसटीपी प्लांट की कहानी नहीं है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हरिद्वार और आसपास के क्षेत्रों में कई अन्य नाले और सीवर भी बिना किसी ट्रीटमेंट के सीधे गंगा में छोड़े जा रहे हैं। इससे गंगा का जल स्तर लगातार प्रदूषित हो रहा है, जो न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत करता है, बल्कि स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं को भी जन्म दे सकता है।
गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है। यदि नमामि गंगे जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के बावजूद गंगा में इस तरह से गंदगी फैलाई जा रही है, तो यह बेहद चिंताजनक है। अब देखना यह होगा कि जिलाधिकारी और प्रशासन इस मामले में कितनी जल्दी और कितनी सख्ती से कार्रवाई करते हैं।