
रेज़न सोलर को मिला पहला बाहरी निवेश
सूरत स्थित सोलर पैनल निर्माता Rayzon Solar ने अपने पहले फंडिंग राउंड में ₹150 करोड़ (करीब $18 मिलियन) जुटाए हैं। यह फंडिंग व्यक्तिगत निवेशकों से मिली है, जिनमें प्रमुख नाम हैं हर्षदकुमार पटेल, क्रिकेट लीजेंड सचिन तेंदुलकर, और दिव्यांग पटेल। कंपनी ने यह राशि 64,10,260 इक्विटी शेयर्स ₹234 प्रति शेयर के हिसाब से जारी कर जुटाई है, जिसकी पुष्टि रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (RoC) में दाखिल दस्तावेज़ों से हुई है।
नेतृत्व में हर्षदकुमार, साथ में सचिन तेंदुलकर
इस फंडिंग राउंड में हर्षदकुमार पटेल ने सबसे बड़ा योगदान ₹26.8 करोड़ का दिया, जबकि सचिन तेंदुलकर और दिव्यांग पटेल ने ₹5-5 करोड़ का निवेश किया। इसके अलावा लगभग 90 अन्य व्यक्तिगत निवेशकों ने छोटे चेक्स के माध्यम से इस राउंड में भाग लिया।
विस्तार योजनाओं में होगा निवेश का उपयोग
रेज़न सोलर इस फंडिंग का इस्तेमाल कंपनी के विस्तार, अल्पकालिक और दीर्घकालिक वित्तीय जरूरतों और सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए करेगी। इसके साथ ही कंपनी ने ESOP योजना 2025 भी लॉन्च की है, जिसमें कर्मचारियों के लिए 1 करोड़ स्टॉक ऑप्शंस होंगे। इस योजना का अनुमानित मूल्य करीब ₹234 करोड़ (लगभग $27.5 मिलियन) है।
IPO की तैयारी में जुटी कंपनी
2017 में चिराग नक्रानी और हार्दिक कोठिया द्वारा स्थापित, Rayzon Solar घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में B2B और B2C दोनों मॉडल पर कार्य करती है। यह कंपनी उच्च दक्षता वाले सोलर पीवी मॉड्यूल का निर्माण करती है जो रेसिडेंशियल, कमर्शियल और यूटिलिटी प्रोजेक्ट्स के लिए उपयोग किए जाते हैं।
इस फंडिंग को कंपनी के आगामी IPO की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, Rayzon जल्द ही अपना Draft Red Herring Prospectus (DRHP) दाखिल कर सकती है। इस निवेश के बाद कंपनी की वैल्यूएशन करीब ₹7,170 करोड़ (लगभग $844 मिलियन) आंकी गई है।
मजबूत वित्तीय प्रदर्शन
वित्त वर्ष मार्च 2024 में समाप्त होने तक, रेज़न सोलर ने ₹1,273 करोड़ की ऑपरेटिंग रेवेन्यू और ₹61 करोड़ का नेट प्रॉफिट दर्ज किया है। यह प्रदर्शन सोलर इंडस्ट्री में कंपनी की मजबूत स्थिति को दर्शाता है।
सोलर सेक्टर में संभावनाएं और चुनौतियां
हाल के वर्षों में भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ नीति, इंपोर्ट ड्यूटी और घरेलू उत्पादों की अनिवार्यता जैसे कदमों से सोलर सेक्टर में जबरदस्त उछाल देखा गया है। हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि जल्द ही बाजार में ओवरकैपेसिटी की समस्या आ सकती है।
रिलायंस और अडानी समूह जैसे बड़े खिलाड़ी इस साल अतिरिक्त उत्पादन क्षमता के साथ प्रवेश करने वाले हैं, जिससे प्रतिस्पर्धा और अधिक बढ़ सकती है।
भविष्य की राह
रेज़न सोलर ने पहले अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की योजना बनाई थी, लेकिन अमेरिकी नीति में बदलाव के कारण उसे रोकना पड़ा। इसके बावजूद, कंपनी ने भारत में आक्रामक मार्केटिंग और उत्पादन विस्तार से अपनी पहचान बनाई है।
हालांकि निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि सोलर सेक्टर में संभावनाओं के साथ-साथ जोखिमों को भी ध्यान में रखें, क्योंकि वैश्विक आपूर्ति शृंखला और चीनी उत्पादों पर निर्भरता अब भी बनी हुई है।