Blogbusinessदेश

आरबीआई ने फिर घटाई रेपो रेट: अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने की रणनीतिक पहल

RBI again reduced repo rate: A strategic initiative to boost the economy

दूसरी बार रेपो दर में कटौती का फैसला
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वैश्विक आर्थिक चुनौतियों और घरेलू मांग को ध्यान में रखते हुए रेपो रेट में 0.25% की कटौती का एलान किया है। यह लगातार दूसरी बार है जब आरबीआई ने मौद्रिक नीति की समीक्षा में इस तरह का कदम उठाया है। इसके साथ ही, आरबीआई ने अपनी मौद्रिक नीति का रुख ‘उदार’ कर दिया है, जिससे संकेत मिलता है कि भविष्य में और कटौतियां संभव हो सकती हैं।

रियल एस्टेट और किफायती आवास को मिलेगा प्रोत्साहन
LIC हाउसिंग फाइनेंस के एमडी और सीईओ त्रिभुवन अधिकारी ने इस फैसले को आवासीय क्षेत्र के लिए सकारात्मक बताया। उनका मानना है कि ब्याज दर में कमी से होम लोन सस्ता होगा, जिससे मध्यम वर्ग और निम्न आय वर्ग के लिए घर खरीदना अधिक सहज हो सकेगा। इससे किफायती आवास योजना को बल मिलेगा और रियल एस्टेट सेक्टर में गति आएगी।

मुद्रास्फीति में नरमी से मिली नीति को दिशा
आईसीआरए की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर का कहना है कि हाल की महंगाई दर में गिरावट ने इस फैसले को मजबूती दी है। उन्होंने बताया कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक और जीडीपी वृद्धि दर के पूर्वानुमान में भी संशोधन किया गया है, जिससे यह साफ है कि आरबीआई ने आर्थिक सुधार के लिए और जगह छोड़ी है।

बढ़ती वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच अहम कदम
आनंद राठी ग्रुप के मुख्य अर्थशास्त्री सुजान हाजरा ने कहा कि यह फैसला वैश्विक व्यापारिक तनावों और शुल्क संबंधी अनिश्चितताओं के दौर में काफी अहम है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि निवेश और खपत में धीरे-धीरे सुधार के संकेत मिलने लगे हैं, जिसे यह निर्णय और प्रोत्साहित करेगा।

वित्तीय स्थिरता को मजबूती देने की कोशिश
श्रीराम जनरल इंश्योरेंस के कार्यकारी निदेशक अश्विनी धनावत ने कहा कि रेपो दर में यह कटौती और नीति में नरमी भारतीय अर्थव्यवस्था को बाहरी दबावों से संतुलित करने में मदद करेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि वित्त वर्ष 2025-26 में जीडीपी में 6.5% की वृद्धि और महंगाई दर 4% के आसपास बनी रह सकती है।

नए और पुराने उधारकर्ताओं को राहत
पैसाबाजार की सीईओ संतोष अग्रवाल ने कहा कि रेपो दर में कटौती का असर सीधे तौर पर कर्ज लेने वालों को होगा। इससे लोन की ब्याज दरें कम हो सकती हैं, जिससे आवास, ऑटो और पर्सनल लोन पर बोझ घटेगा।

निष्कर्ष
आरबीआई का यह निर्णय मौजूदा आर्थिक हालात को संतुलित करने, निवेशकों के विश्वास को बढ़ाने और उपभोक्ता खर्च को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक ठोस कदम है। आने वाले समय में इसका असर विभिन्न क्षेत्रों में देखने को मिलेगा, खासकर बैंकिंग, रियल एस्टेट और खुदरा उपभोग में।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button