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सेबी बोर्ड की पहली बैठक आज: एफपीआई कर और व्यापार मानदंडों पर हो सकती है चर्चा

SEBI board's first meeting today: FPI tax and trading norms may be discussed

नए अध्यक्ष तुहिन कांत पांडे की अगुवाई में पहली बैठक

मुंबई: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) आज अपने नवनियुक्त अध्यक्ष तुहिन कांत पांडे के नेतृत्व में पहली बैठक आयोजित करेगा। इस बैठक पर पूरे वित्तीय बाजार की नजरें टिकी हुई हैं। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सेबी इस बैठक में हितों के टकराव की रूपरेखा तैयार करने और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के लिए व्यापार मानदंडों को आसान बनाने पर विचार कर सकता है।

एफपीआई कर को लेकर संभावित चर्चा

एफपीआई निवेशकों को लेकर हाल ही में कुछ चिंताएं सामने आई थीं, जब सरकार ने स्पष्टीकरण दिया कि 1 अप्रैल से एफपीआई को 10% के बजाय 12.5% ​​की दर से दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (LTCG) कर का भुगतान करना होगा। इस बदलाव के कारण निवेशकों के बीच अनिश्चितता पैदा हो गई थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले पांच महीनों में एफपीआई सेगमेंट में 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक की इक्विटी बिक चुकी है, जिससे बाजार में अस्थिरता देखी गई।

सेबी अध्यक्ष का कराधान पर बयान

शनिवार, 22 मार्च को बिजनेस टुडे के एक कार्यक्रम में सेबी अध्यक्ष तुहिन कांत पांडे ने कराधान नीति पर अपनी राय साझा की। उन्होंने कहा कि मौजूदा कर व्यवस्था में बदलाव करना अनिश्चितता पैदा कर सकता है और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को इस प्रणाली के साथ ही आगे बढ़ना होगा।

उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था के प्रमुख लाभों को सूचीबद्ध करते हुए कहा:

  • भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है
  • बेहतर रिटर्न, स्थिर नीतिगत माहौल और नियंत्रित मुद्रास्फीति विदेशी निवेशकों के लिए फायदे का सौदा हैं।
  • उपभोग में बढ़ोतरी और सरकार तथा निजी कंपनियों द्वारा पूंजी निर्माण में तेजी से निवेश का माहौल बेहतर बना हुआ है।

क्या सेबी निवेश नियमों में लाएगा बदलाव?

आज की बैठक में एफपीआई कर के साथ-साथ व्यापार मानकों को सरल बनाने और विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए नए नियमों पर भी चर्चा हो सकती है। बाजार विश्लेषकों के अनुसार, यदि सेबी एफपीआई कर के मुद्दे पर कुछ राहत देने का संकेत देता है, तो इससे निवेशकों का विश्वास बढ़ सकता है और बाजार में स्थिरता लौट सकती है।

बाजार से जुड़े निवेशक और विशेषज्ञ इस बैठक के फैसलों का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि इसके नतीजे भारतीय इक्विटी बाजार और विदेशी निवेश पर बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं।

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