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नई शिक्षा नीति पर सोनिया गांधी का वार: “3C मॉडल से हो रहा शिक्षा प्रणाली का नुकसान”

Sonia Gandhi's attack on the new education policy: "3C model is harming the education system"

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने मोदी सरकार की शिक्षा नीति (NEP 2020) पर तीखा हमला बोला है। अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ में प्रकाशित अपने लेख “The ‘3C’ That Haunt Indian Education Today” में उन्होंने शिक्षा प्रणाली के केंद्रीकरण, व्यावसायीकरण और सांप्रदायिकरण पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसे “शिक्षा प्रणाली का नरसंहार” करार दिया और सरकार की नीयत पर सवाल खड़े किए।

क्या है 3C मॉडल?

सोनिया गांधी ने तीन प्रमुख चिंताओं—Centralization (केंद्रीकरण), Commercialization (व्यावसायीकरण) और Communalization (सांप्रदायीकरण) को भारतीय शिक्षा प्रणाली के लिए खतरा बताया है। उनके अनुसार, केंद्र सरकार सत्ता को केंद्रीकृत कर, शिक्षा क्षेत्र में निवेश का निजीकरण कर, और पाठ्यक्रम में बदलाव कर सांप्रदायिक एजेंडा चला रही है।

शिक्षा के केंद्रीकरण पर सवाल

उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 11 वर्षों में केंद्र सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में अनियंत्रित केंद्रीकरण किया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की 2019 से कोई बैठक नहीं हुई और NEP 2020 लागू करने से पहले राज्यों से कोई चर्चा नहीं की गई। सोनिया गांधी ने इसे संघवाद के लिए गंभीर खतरा बताया और कहा कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों को शिक्षा के अधिकार से दूर कर रही है।

व्यावसायीकरण से बढ़ी शिक्षा की लागत

सोनिया गांधी ने कहा कि सरकार सार्वजनिक शिक्षा को कमजोर कर निजीकरण को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि गरीब छात्रों को सरकारी स्कूलों से बाहर कर महंगी निजी शिक्षा प्रणाली के हवाले किया जा रहा है। उच्च शिक्षा में HEFA (Higher Education Financing Agency) जैसी नीतियों के कारण विश्वविद्यालयों की वित्तीय स्वतंत्रता खत्म हो गई है।

सांप्रदायिकरण के आरोप

सोनिया गांधी ने सरकार पर इतिहास से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि NCERT की किताबों से महात्मा गांधी की हत्या, मुगल इतिहास और संविधान की प्रस्तावना को हटाने की कोशिश की गई। उन्होंने दावा किया कि IIT और IIM जैसे संस्थानों में सरकार कमजोर विचारधारा वाले लोगों को नियुक्त कर रही है।

निष्कर्ष

सोनिया गांधी ने कहा कि शिक्षा प्रणाली में यह बदलाव सीधे छात्रों को प्रभावित कर रहे हैं और सरकार को इस “नरसंहार” को रोकना चाहिए। उन्होंने मांग की कि शिक्षा में केंद्रीकरण, व्यावसायीकरण और सांप्रदायिकरण को खत्म कर छात्रों के हित में नीतियां बनाई जाएं।

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