श्रीलंका में राजनीतिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव होने जा रहा है, क्योंकि जेवीपी (जनता विमुक्ति पेरामुना) के नेता अनुरा कुमारा डिसानायके देश के नए राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। इस सत्ता परिवर्तन ने देश और पड़ोसी देशों की राजनीति में हलचल मचा दी है। अनुरा कुमारा, जो अपने वामपंथी रुख और जनहितैषी नीतियों के लिए जाने जाते हैं, ने श्रीलंका में बढ़ते भ्रष्टाचार, आर्थिक संकट, और प्रशासनिक अक्षमता के खिलाफ लंबे समय से संघर्ष किया है। उनका राष्ट्रपति बनना श्रीलंका के राजनीतिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने वाला है।
भारत के लिए क्या मायने रखता है यह बदलाव?
अनुरा कुमारा का राष्ट्रपति बनना भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि उनकी पार्टी का रुख कई मौकों पर भारत की नीतियों से अलग रहा है। श्रीलंका में चीन का प्रभाव पहले से ही बड़ा मुद्दा बना हुआ है, और अगर अनुरा कुमारा चीन के साथ संबंध और मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाते हैं, तो यह भारत के रणनीतिक हितों के लिए एक चुनौती बन सकता है। श्रीलंका के राजनीतिक रुख में यह बदलाव दक्षिण एशिया में नई भू-राजनीतिक समीकरणों को जन्म दे सकता है।
हालांकि, अनुरा कुमारा का प्राथमिक फोकस श्रीलंका के आंतरिक मामलों पर ही रहेगा, जिसमें देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को स्थिर करना और आम जनता के हितों के लिए काम करना शामिल है। फिर भी, उनके कार्यकाल के दौरान भारत-श्रीलंका संबंधों में बदलावों पर नजर रखनी होगी।