Blogउत्तराखंड

अंकिता हत्याकांड: चांद की स्थिति ने खोला बड़ा राज, SIT को आरोपियों के झूठ पकड़ने में मिली अहम मदद

Ankita murder case: Moon's position revealed a big secret, SIT got important help in catching the lies of the accused

कोटद्वार – उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में जहां न्यायालय ने तीनों आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई, वहीं जांच के दौरान एक दिलचस्प और निर्णायक तथ्य सामने आया जिसने केस की दिशा ही बदल दी। हत्या की रात चंद्रमा की स्थिति ने मुख्य आरोपी पुलकित आर्य के बयान की सच्चाई पर सवाल खड़े कर दिए और एसआईटी को आरोपियों के खिलाफ अहम सबूत जुटाने में मदद मिली।

वनंतरा रिसॉर्ट की रिसेप्शनिस्ट अंकिता की हत्या को लेकर शुरू में पुलकित आर्य ने दावा किया था कि घटना रात करीब 9 बजे हुई, जब अंकिता नहर में गिर गई और वे उसे बचाने की कोशिश कर रहे थे। उसका कहना था कि उन्होंने उसे गिरते हुए देखा था। लेकिन यह दावा खारिज हो गया जब जांच टीम ने मौसम विज्ञान वेधशाला से संपर्क किया और जानकारी जुटाई कि उस दिन उस क्षेत्र में चांद रात 11 बजे के बाद ही निकला था।

चांद की रोशनी नहीं थी, फिर कैसे देखा?

विशेष जांच टीम (SIT) की प्रमुख, डीआईजी पी. रेणुका देवी ने बताया कि पुलकित का यह बयान कि उसने अंकिता को गिरते हुए देखा, सरासर झूठा था क्योंकि उस समय प्राकृतिक रोशनी बिल्कुल नहीं थी। घटनास्थल घना जंगल था और वहां सिर्फ मोबाइल की टॉर्च से ही देख पाना संभव था। इस वैज्ञानिक साक्ष्य ने अभियुक्त के बयान की पोल खोल दी।

एम्स रिपोर्ट और CCTV फुटेज भी बने मजबूत आधार

ऋषिकेश स्थित एम्स की फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल का दौरा किया और शव परीक्षण के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि अंकिता को किस ऊंचाई से नहर में फेंका गया था। उसकी चोटों की गहराई और दिशा से स्पष्ट था कि यह कोई दुर्घटना नहीं थी, बल्कि जानबूझकर की गई हत्या थी।

इसके अलावा, बैराज के पास लगे सीसीटीवी कैमरों से मिले फुटेज ने भी पुलकित के बयान की पुष्टि नहीं की। यह तकनीकी और डिजिटल सबूत मामले को सुलझाने में निर्णायक साबित हुए।

एसआईटी गठन के बाद तेजी से बढ़ी जांच

अंकिता 18 सितंबर 2022 को अचानक लापता हो गई थी। परिवार की शिकायत पर शुरुआत में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन जब मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो सरकार हरकत में आई और 24 सितंबर को विशेष जांच टीम गठित की गई। जांच शुरू होते ही पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को हिरासत में लिया गया।

कोर्ट ने सभी आरोपों को माना सही

एसआईटी ने लगभग 500 पेज की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की, जिसमें वैज्ञानिक, डिजिटल और गवाहों के बयान शामिल थे। कोर्ट ने इस आधार पर तीनों आरोपियों को दोषी माना और आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

मुख्य आरोपी पुलकित आर्य पर हत्या (धारा 302), साक्ष्य मिटाने (धारा 201) और यौन उत्पीड़न (धारा 354A) जैसे संगीन आरोप सिद्ध हुए। वहीं उसके दोनों साथियों पर हत्या और साक्ष्य छिपाने के आरोप साबित हुए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button