
विश्व प्रसिद्ध श्री गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए विधि-विधानपूर्वक बंद कर दिए गए हैं। कपाट बंद होने के एक दिन बाद आज मां गंगा की डोली ने पारंपरिक अनुष्ठानों के साथ शीतकालीन प्रवास के लिए प्रस्थान किया।
दोपहर 1 बजे मां गंगा की डोली ने चंडी देवी मंदिर से प्रस्थान किया। इस दौरान भक्तों के जयघोष, भजन-कीर्तन और ढोल-नगाड़ों की गूंज से सम्पूर्ण क्षेत्र भक्तिमय हो उठा। डोली यात्रा का प्रथम पड़ाव अन्नपूर्णा देवी मंदिर रहा, जहाँ भक्तों ने मां गंगा के दर्शन किए।
इसके पश्चात डोली ने मार्कण्डेय मंदिर से होते हुए अपना आगे का मार्ग तय किया और लगभग 2 बजे शीतकालीन गद्दी स्थल मुखबा (मुखीमठ) पहुंची। अब पूरे शीतकाल के दौरान मां गंगा की पूजा-अर्चना मुखबा (मुखीमठ) में ही संपन्न होगी।
🌸 आस्था और परंपरा का प्रतीक
गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया हर वर्ष दीपावली के बाद संपन्न होती है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, जो देवभूमि उत्तराखंड की आस्था, परंपरा और आध्यात्मिक समृद्धि को दर्शाती है। शीतकाल में जब गंगोत्री क्षेत्र बर्फ से ढक जाता है, तब मुखबा गांव को मां गंगा का शीतकालीन निवास माना जाता है।



