
नई दिल्ली: क्या भारतीय रेलवे आने वाले वर्षों में देशभर में 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें चला पाएगा? इस सवाल का जवाब खुद रेलवे अधिकारियों ने दिया है। अधिकारियों का कहना है कि वे इस दिशा में सक्रियता से कार्य कर रहे हैं और पूरे रेल नेटवर्क को हाई स्पीड ट्रेनों के अनुरूप बनाने की दिशा में बड़े बदलाव किए जा रहे हैं।
रेलवे के अनुसार वर्तमान में कुछ रेल मार्ग 160-180 किमी प्रति घंटे की गति को सपोर्ट करने में सक्षम हैं, लेकिन कई ट्रैकों को अभी अपग्रेड करना बाकी है। नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे के सीपीआरओ कपिंजल किशोर शर्मा ने बताया कि कुछ सेक्शंस में ट्रेन को स्लो डाउन करना पड़ता है जिससे यात्रा समय में छह मिनट तक की बढ़ोतरी होती है। ट्रैक के सुधार, बेहतर सिग्नलिंग सिस्टम, क्रॉसिंग हटाने और बाड़बंदी जैसे कार्यों पर जोर दिया जा रहा है।
हाई स्पीड ट्रेनों के लिए बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ किया जा रहा है। रेलवे मंत्रालय के अनुसार, अब तक 23,000 किमी से अधिक ट्रैक को 130 किमी प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार के लिए अपग्रेड किया जा चुका है। यह लगभग पूरे नेटवर्क का पांचवां हिस्सा है। दिल्ली-आगरा सेक्शन पर पहले ही 160 किमी प्रति घंटे की गति से ट्रेनें चल रही हैं।
दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा जैसे प्रमुख रूटों पर 160 किमी प्रति घंटे की स्पीड के लिए कार्य स्वीकृत हो चुका है। इन मार्गों पर नई लाइनें बिछाई जा रही हैं और डीएफसी (Dedicated Freight Corridors) चालू किए जा चुके हैं जिससे पैसेंजर ट्रेनों को अधिक स्पीड मिल सके।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में बताया कि अब तक 136 वंदे भारत ट्रेनों को देशभर में चलाया जा चुका है, लेकिन उनकी स्पीड सेक्शन की क्षमता, सिग्नलिंग, स्टॉपेज और अन्य तकनीकी कारणों से सीमित रहती है।
यात्रियों ने भी उठाए सवाल, कुछ यात्रियों का मानना है कि जब तक आधारभूत ढांचा पूरी तरह विकसित नहीं होता, हाई स्पीड ट्रेनों का वास्तविक लाभ यात्रियों को नहीं मिल पाएगा। वे चाहते हैं कि स्टेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर, फेंसिंग और सिग्नलिंग सिस्टम को तेजी से अपग्रेड किया जाए।
रेलवे ने स्पष्ट किया है कि वे हाई स्पीड नेटवर्क को साकार करने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य कर रहे हैं, जिससे भविष्य में भारत में तेज, सुरक्षित और समयबद्ध रेल यात्रा का सपना साकार हो सकेगा।