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भारत में 2027 की जनगणना का एलान: पहली बार शामिल होगी जातिगत गणना, दो चरणों में होगा कार्य

Announcement of 2027 census in India: Caste census will be included for the first time, work will be done in two phases

नई दिल्ली, 16 जून 2025 — भारत सरकार ने वर्ष 2027 में होने वाली जनगणना की आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है। इस जनगणना की सबसे खास बात यह होगी कि इसमें जातिगत आंकड़े भी पहली बार इकट्ठा किए जाएंगे, जिससे सामाजिक और आर्थिक योजनाओं को और अधिक लक्षित तरीके से तैयार किया जा सकेगा। जनगणना का संदर्भ दिनांक 1 मार्च 2027 निर्धारित किया गया है, जबकि कुछ पर्वतीय क्षेत्रों में यह दिनांक 1 अक्टूबर 2026 मानी जाएगी।

गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, इस महाअभियान को दो चरणों में अंजाम दिया जाएगा। गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि देशभर में करीब 34 लाख कर्मचारी, पर्यवेक्षक और 1.3 लाख अधिकारी इस कार्य में तैनात होंगे। ये सभी डिजिटल उपकरणों से लैस रहेंगे, ताकि जनगणना प्रक्रिया पारदर्शी और तकनीकी रूप से सशक्त हो सके।

दो चरणों में होगी जनगणना

जनगणना की प्रक्रिया दो प्रमुख चरणों में संपन्न की जाएगी।

  • पहले चरण में हाउसलिस्टिंग ऑपरेशन होगा, जिसमें प्रत्येक घर की स्थिति, उसमें उपलब्ध सुविधाएं, स्वामित्व का प्रकार, जल और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं का डाटा एकत्र किया जाएगा।
  • दूसरे चरण में व्यक्तिगत जनगणना की जाएगी, जहां हर व्यक्ति की उम्र, लिंग, शिक्षा, रोजगार, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और अब जाति से जुड़ी जानकारियां भी दर्ज की जाएंगी।

पहाड़ों में अलग आधार तिथि

केंद्र सरकार ने बर्फबारी और दुर्गम इलाकों की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के लिए जनगणना की आधार तिथि 1 अक्टूबर 2026 निर्धारित की है।

तकनीक का भरपूर इस्तेमाल

2027 की जनगणना में तकनीक का बड़े स्तर पर उपयोग किया जाएगा। सभी फील्ड वर्कर्स को डिजिटल टैबलेट्स और विशेष सॉफ्टवेयर से लैस किया जाएगा ताकि डेटा संग्रहण रियल टाइम में हो सके और गलती की संभावना न्यूनतम रहे। इसके अलावा, जनगणना पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन भी आम लोगों के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे।

2011 के बाद पहली बार जनगणना

उल्लेखनीय है कि भारत में पिछली बार जनगणना 2011 में हुई थी। 2021 में प्रस्तावित जनगणना COVID-19 महामारी के कारण स्थगित कर दी गई थी। ऐसे में 16वीं जनगणना का आयोजन सामाजिक और सांख्यिकीय दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

सरकार का मानना है कि यह जनगणना देश की सामाजिक संरचना को बेहतर तरीके से समझने और योजनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने में अहम भूमिका निभाएगी।

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