
देहरादून: उत्तराखंड में लागू किए जा रहे समान नागरिक संहिता (UCC) के खिलाफ वकीलों का विरोध अब खुलकर सामने आने लगा है। मंगलवार को राजधानी देहरादून की सड़कों पर अधिवक्ताओं का सैलाब उमड़ पड़ा। हजारों की संख्या में काले कोट पहने वकीलों ने सिविल कोर्ट परिसर से लेकर सचिवालय तक मार्च निकाला और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। वकीलों ने स्पष्ट रूप से कहा कि UCC संविधान की मूल भावना के खिलाफ है और इससे समाज के विविध वर्गों के अधिकारों का हनन होगा।
सामूहिक विरोध प्रदर्शन में दिखी एकजुटता
विरोध कर रहे अधिवक्ताओं ने ‘UCC नहीं चलेगा’, ‘संविधान के साथ छेड़छाड़ बंद करो’ जैसे नारों के साथ सरकार की नीति पर सवाल उठाए। उनका कहना है कि यह कानून देश की विविधता और धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है। प्रदर्शन में दून बार एसोसिएशन, उत्तराखंड अधिवक्ता परिषद, मुस्लिम अधिवक्ता मंच सहित कई संगठनों के वकील शामिल हुए।
मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन
प्रदर्शन के अंत में वकीलों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नाम एक ज्ञापन भी जिलाधिकारी के माध्यम से सौंपा। ज्ञापन में मांग की गई है कि सरकार UCC के प्रस्ताव को वापस ले और इसे लागू करने से पहले सभी वर्गों के साथ व्यापक संवाद स्थापित करे। वकीलों का कहना है कि एक समान कानून थोपने की बजाय, सरकार को समाज की विविधता को समझते हुए संवेदनशील निर्णय लेने चाहिए।
कानून विशेषज्ञों ने भी उठाए सवाल
प्रदर्शन के दौरान कुछ वरिष्ठ अधिवक्ताओं और संविधान विशेषज्ञों ने कहा कि भारत जैसे बहुलतावादी समाज में विविध धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं को एक कानून के दायरे में बांधना व्यवहारिक नहीं है। उन्होंने आशंका जताई कि UCC से सामाजिक संघर्ष बढ़ सकता है और अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना पनप सकती है।
शांतिपूर्ण रहा प्रदर्शन, लेकिन तेवर सख्त
हालांकि प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा, लेकिन वकीलों के तेवर काफी सख्त नजर आए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने उनकी मांगों पर गंभीरता नहीं दिखाई, तो राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह विरोध किसी एक धर्म या समुदाय के पक्ष में नहीं, बल्कि संविधान की मूल भावना और विविधता की रक्षा के लिए है।
आंदोलन को मिल रहा जनसमर्थन
दिलचस्प बात यह रही कि इस विरोध को कई सामाजिक संगठनों और नागरिक मंचों का भी समर्थन मिला। सभी का कहना है कि ऐसे अहम फैसलों से पहले जनमत और व्यापक संवाद बेहद जरूरी है। देहरादून में हुए इस प्रदर्शन ने साफ कर दिया है कि UCC का रास्ता सरकार के लिए इतना आसान नहीं होगा।