
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले में भारतीय सुरक्षाबलों के कई जवान शहीद हो गए, जिसके बाद उत्तराखंड में भी जनभावनाएं उबाल पर हैं। राज्य के विभिन्न हिस्सों में लोगों ने सड़कों पर उतरकर पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए और केंद्र सरकार से आतंकवाद पर कठोर कार्रवाई की मांग की।
राज्यभर में उग्र प्रदर्शन
देहरादून, हरिद्वार, रुद्रपुर, हल्द्वानी और श्रीनगर समेत कई शहरों में युवाओं, सामाजिक संगठनों और पूर्व सैनिकों ने रैलियां निकालीं। लोगों ने पाकिस्तान विरोधी नारे लगाए और आतंकी हमले की निंदा करते हुए आतंक के खिलाफ एकजुटता दिखाई। प्रदर्शनकारियों ने तिरंगा लहराते हुए शहीदों को श्रद्धांजलि दी और मोमबत्ती जलाकर उन्हें याद किया।
सरकार से की कड़ी कार्रवाई की मांग
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि अब वक्त आ गया है कि पाकिस्तान को उसके किए की सजा दी जाए। लोगों ने केंद्र सरकार से मांग की कि वह आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कदम उठाए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। कई स्थानों पर लोगों ने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपे।
छात्र और युवाओं की सक्रिय भागीदारी
इस विरोध प्रदर्शन में छात्रों और युवाओं की भागीदारी भी देखने को मिली। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में भी इस हमले को लेकर गुस्सा है। विद्यार्थियों ने अपने संस्थानों में श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित कीं और आतंकी ताकतों के खिलाफ एकजुट रहने की शपथ ली।
पूर्व सैनिकों ने भी जताई नाराजगी
उत्तराखंड जैसे वीरभूमि राज्य में पूर्व सैनिकों ने भी हमले को लेकर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि भारत को अब केवल कड़े बयान नहीं, बल्कि ठोस सैन्य और कूटनीतिक कदम उठाने चाहिए। उनका कहना था कि आतंकी हमलों का जवाब केवल कड़ी कार्रवाई ही हो सकती है।
पहलामग हमले ने जहां देश को शोक में डुबो दिया है, वहीं उत्तराखंड में यह आक्रोश का कारण भी बना है। राज्य की जनता ने यह साफ कर दिया है कि वह आतंकवाद और इसके समर्थकों के खिलाफ एकजुट है और अब निर्णायक कार्रवाई की अपेक्षा रखती है।