
एक साल रहेगा कार्यकाल, 2026 से अगले पांच वर्षों के लिए देगा सिफारिशें
उत्तराखंड सरकार ने छठवें राज्य वित्त आयोग का गठन कर दिया है, जिसकी अध्यक्षता उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव एन. रविशंकर करेंगे। आयोग में पूर्व आईएएस अधिकारी पी.एस. जंगपांगी और डॉ. एम.सी. जोशी को सदस्य बनाया गया है, जबकि अपर सचिव वित्त डॉ. अहमद इकबाल को सचिव नियुक्त किया गया है। वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। आयोग का कार्यकाल एक साल होगा, और यह 1 अप्रैल 2026 से शुरू होने वाली पांच साल की अवधि के लिए अपनी सिफारिशें देगा।
पंचायतों और शहरी निकायों की वित्तीय स्थिति का होगा आकलन
आयोग त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति का आकलन करेगा और उसके आधार पर राज्यपाल को सिफारिशें सौंपेगा। इसका मुख्य उद्देश्य राज्य की वित्तीय स्थिति को मजबूत करना और अतिरिक्त संसाधन जुटाने के उपाय सुझाना होगा।
आयोग को व्यापक अधिकार, वित्तीय जरूरतों पर देगा सुझाव
छठवें राज्य वित्त आयोग को कई अधिकार दिए गए हैं, जिसमें शामिल हैं:
✔️ अधिकारियों या प्राधिकरणों से सूचना एवं दस्तावेज मांगने की शक्ति
✔️ किसी भी व्यक्ति को साक्ष्य या दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए बुलाने का अधिकार
✔️ स्वयं अपनी प्रक्रिया निर्धारित करने की स्वतंत्रता
आयोग 31 मार्च 2025 तक पंचायतों और शहरी निकायों की वित्तीय स्थिति और उनके लोन की स्थिति का आकलन करेगा और राज्य की वित्तीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सुधारात्मक उपाय सुझाएगा।
करों, शुल्कों और वित्तीय आवंटन पर आयोग की भूमिका
आयोग राजस्व और पूंजी दोनों पक्षों पर खर्च के लिए निधियों की व्यवस्था से संबंधित सिफारिशें देगा। इसके अलावा:
✅ सत्रहवें वित्त आयोग के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों की पहचान करेगा।
✅ करों, शुल्कों, टोल और फीस की शुद्ध आय का पंचायतों व शहरी निकायों में उचित आवंटन सुनिश्चित करेगा।
✅ स्थानीय निकायों को सौंपे जाने वाले करों और शुल्कों का निर्धारण करेगा।
✅ पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के उपाय सुझाएगा।
राज्य की वित्तीय स्थिति सुदृढ़ करने की ओर बड़ा कदम
छठवें राज्य वित्त आयोग का गठन उत्तराखंड की स्थानीय शासन व्यवस्था को आर्थिक रूप से मजबूत करने और विकास योजनाओं को सुचारू रूप से संचालित करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।