
अस्पतालों ने जताई नाराजगी
गुजरात में निजी अस्पतालों और स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के बीच विवाद गहराता जा रहा है। एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स (AHNA) के अध्यक्ष डॉ. भरत गढवी ने बीमा कंपनियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वे अस्पतालों को बिना किसी उचित कारण के अपनी नेटवर्क सूची से हटा रही हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मेडिकल महंगाई को ध्यान में रखते हुए इलाज की दरों में कोई संशोधन नहीं किया जा रहा है, जिससे अस्पतालों को भारी नुकसान हो रहा है।
कैशलैस सुविधा बंद करने की चेतावनी
AHNA ने स्पष्ट किया है कि यदि बीमा कंपनियों ने जल्द ही अस्पतालों की चिंताओं का समाधान नहीं किया, तो गुजरात भर में इन कंपनियों के साथ कैशलैस क्लेम प्रक्रियाएं बंद कर दी जाएंगी। इससे मरीजों को सीधे जेब से भुगतान करना पड़ेगा और उन्हें बीमा का लाभ नहीं मिल पाएगा।
बीमा कंपनियों का पलटवार
बीमा कंपनियों ने AHNA के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने बयान जारी कर कहा है कि AHNA द्वारा लगाए गए आरोप “बेबुनियाद, भ्रामक और तथ्यों से परे” हैं। कंपनियों का यह भी कहना है कि एसोसिएशन ने सीधे संवाद की कोशिश नहीं की और सार्वजनिक रूप से आरोप लगाकर स्थिति को और बिगाड़ दिया।
TATA AIG का स्पष्टीकरण
TATA AIG ने साफ कर दिया है कि उनकी वेबसाइट पर जो अस्पताल सूची से बाहर किए गए हैं, वहां इलाज कराने पर बीमा कवर नहीं मिलेगा। यह एक स्पष्ट संकेत है कि ऐसे अस्पतालों में इलाज करवाने वाले मरीजों को रीइम्बर्समेंट की भी सुविधा नहीं दी जाएगी।
CARE और Star Health की स्थिति
CARE और Star Health जैसी बीमा कंपनियों ने कहा है कि मौजूदा निलंबन केवल कैशलैस क्लेम पर लागू होता है। मरीज अब भी अपने खर्च से इलाज कराकर बाद में रीइम्बर्समेंट क्लेम कर सकते हैं।
मरीजों पर असर
इस टकराव का सीधा असर आम जनता पर पड़ रहा है। यदि कैशलैस सुविधा बंद होती है, तो मरीजों को पहले इलाज का पूरा खर्च खुद उठाना पड़ेगा। विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि इलाज से पहले संबंधित अस्पताल और बीमा कंपनी से स्पष्ट जानकारी लेनी चाहिए, जिससे किसी अप्रत्याशित स्थिति से बचा जा सके।
पहले भी हो चुका है विवाद
यह पहली बार नहीं है जब अस्पतालों और बीमा कंपनियों के बीच इस तरह का विवाद सामने आया है। पूर्व में भी दरों, शर्तों और भुगतान प्रक्रियाओं को लेकर कई बार विवाद हो चुके हैं। ऐसे में दोनों पक्षों के बीच सकारात्मक संवाद और समाधान की जरूरत है, ताकि मरीजों को परेशानी का सामना न करना पड़े।