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सील हटाकर हुआ अवैध निर्माण: हरिद्वार में हरेराम आश्रम ट्रस्ट की संपत्ति पर गड़बड़झाला, भ्रष्टाचार पर उठे सवाल

Illegal construction done by removing seal: Irregularities in the property of Hareram Ashram Trust in Haridwar, questions raised on corruption

हरिद्वार, 11 जून – उत्तराखंड की पावन नगरी हरिद्वार के कनखल क्षेत्र में एक बार फिर सरकारी नियमों और न्यायिक आदेशों की अनदेखी का मामला सामने आया है। हरेराम आश्रम ट्रस्ट की संपत्ति पर पहले से प्रतिबंधित और सील किए गए निर्माण कार्य को दोबारा शुरू करवा दिया गया है। बताया जा रहा है कि यह कार्य हरिद्वार-ऋषिकेश विकास प्राधिकरण (HRDA) के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से एक निजी बिल्डर के सहयोग से कराया जा रहा है।

न्यायालय के आदेश के बावजूद सील हटाई गई

विवादित संपत्ति पर पहले भी निर्माण को लेकर कई बार न्यायालयों में सुनवाई हो चुकी है, और आदेश के तहत इस स्थल को सील किया गया था। लेकिन हाल ही में स्थानीय लोगों और ट्रस्ट से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि विकास प्राधिकरण के कुछ अधिकारियों ने निजी स्वार्थ में सील हटवाकर दोबारा अवैध निर्माण कार्य की अनुमति दे दी।

बिल्डर और अफसरों की सांठगांठ का आरोप

स्थानीय निवासियों का कहना है कि एक प्रभावशाली बिल्डर और प्राधिकरण के कुछ अधिकारियों के बीच मिलीभगत के चलते यह निर्माण कार्य दोबारा शुरू हुआ है। इस पूरे प्रकरण ने शासन की “जीरो टॉलरेंस” की नीति और “सुशासन” की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोगों ने आरोप लगाया है कि भ्रष्टाचार खुलेआम हो रहा है, और शासन-प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ है।

सार्वजनिक संपत्ति पर हो रहा कब्जा

यह संपत्ति हरेराम आश्रम ट्रस्ट की है, जो कि धार्मिक और सार्वजनिक उपयोग की भूमि के अंतर्गत आती है। लेकिन अब यहां व्यवसायिक निर्माण किए जाने की आशंका जताई जा रही है। क्षेत्रीय लोगों ने आशंका जताई है कि कुछ प्रभावशाली लोग इस भूमि पर व्यावसायिक प्रोजेक्ट खड़ा करने की तैयारी में हैं।

मुख्यमंत्री धामी से कार्रवाई की मांग

स्थानीय नागरिकों, सामाजिक संगठनों और कुछ जनप्रतिनिधियों ने इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। लोगों ने मांग की है कि इस अवैध निर्माण पर तुरंत रोक लगाई जाए और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

हरिद्वार जैसी धार्मिक नगरी में इस तरह की घटनाएं न केवल आस्था को ठेस पहुंचाती हैं, बल्कि सरकार के सुशासन के दावों की भी पोल खोलती हैं। अब देखना यह होगा कि शासन इस प्रकरण में क्या रुख अपनाता है और दोषियों पर क्या कार्रवाई करता है।

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