
नई दिल्ली: भारत के रक्षा क्षेत्र ने 2014 के बाद अभूतपूर्व बदलाव देखा है। जहां पहले देश भारी तौर पर सैन्य उपकरणों के आयात पर निर्भर था, वहीं अब आत्मनिर्भरता और स्वदेशी उत्पादन को प्राथमिकता दी जा रही है। इस बदलाव के साथ भारत न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत कर रहा है, बल्कि वैश्विक रक्षा उद्योग में अपनी पहचान भी स्थापित कर रहा है। देश का रक्षा बजट 2013-14 में 2.53 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 6.21 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो इस क्षेत्र में विकास का प्रमाण है।
डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग उद्योग की बढ़ती ताकत
इस परिवर्तन के चलते भारत का रक्षा निर्माण उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है और अब यह देश की अर्थव्यवस्था में एक अहम भूमिका निभा रहा है। ‘मेक इन इंडिया’ पहल और सरकारी नीतिगत सुधारों ने घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दिया है और विदेशी खरीद पर निर्भरता कम की है। साथ ही, निजी क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन मिला है, जिससे तकनीकी नवाचार में तेजी आई है।
भारत का रक्षा निर्यात रिकॉर्ड तोड़ रहा है
भारत ने वैश्विक हथियार बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करते हुए वित्त वर्ष 2024-25 में 23,622 करोड़ रुपये (लगभग 2.76 अरब डॉलर) का रक्षा निर्यात किया, जो पिछले वर्ष से 12% अधिक है। देश अब 100 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात करता है, जिनमें अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया प्रमुख ग्राहक हैं। निर्यात में मिसाइल प्रणालियां, नौसैनिक जहाज, तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट और एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर जैसे अत्याधुनिक उपकरण शामिल हैं।
वैश्विक हथियार बाजार में भारत की स्थिति
हालांकि भारत वैश्विक हथियार निर्यातकों की टॉप 25 सूची में शामिल है, फिर भी इसकी वैश्विक हिस्सेदारी 1% से कम है। वहीं, भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक बना हुआ है, जो 2019-23 के दौरान वैश्विक आयात का लगभग 9.8% हिस्सा है। सरकार का लक्ष्य है कि घरेलू उत्पादन बढ़ाकर इस निर्भरता को कम किया जाए।
चुनौतियां और भविष्य के लक्ष्य
भारतीय रक्षा उद्योग को आयात पर निर्भरता, आरएंडडी में कमी और वैश्विक प्रतिस्पर्धा जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन रक्षा मंत्रालय ने 2028-29 तक रक्षा विनिर्माण में 3 लाख करोड़ रुपये के वार्षिक कारोबार और 50,000 करोड़ रुपये के वार्षिक निर्यात लक्ष्य निर्धारित किए हैं।
भारत का रक्षा क्षेत्र अब तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है और वैश्विक रक्षा बाजार में अपनी जगह मजबूत कर रहा है। बेहतर नीतियां, निजी क्षेत्र की भागीदारी और तकनीकी विकास के साथ, भारत आने वाले वर्षों में रक्षा उत्पादन और निर्यात के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण वैश्विक खिलाड़ी बनने की दिशा में अग्रसर है।