
नई दिल्ली: ई-बस बाजार में तेजी, 2024 में 81% की वृद्धि
एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इलेक्ट्रिक बसों की वार्षिक बिक्री वित्त वर्ष 2027 तक 17,000 यूनिट से अधिक हो सकती है। यह आंकड़ा 2024 में कुल बस बिक्री से 15% अधिक होगा। वर्तमान में, ई-बसों की हिस्सेदारी 4% है, लेकिन 2024 में यह 3,644 यूनिट पर पहुंच गई, जो 81% सालाना वृद्धि को दर्शाता है।
डीजल-पेट्रोल बसों की बाजार हिस्सेदारी घटी
केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, क्लीन फ्यूल ट्रांजिशन की वजह से पारंपरिक डीजल और पेट्रोल बसों की हिस्सेदारी घट रही है। एक दशक पहले यह 97-98% थी, जो 2024 में घटकर 90% रह गई।
बड़े शहरों से निकलकर छोटे शहरों तक पहुंचेगी ई-बस सेवा
केयरएज रेटिंग्स की एसोसिएट डायरेक्टर आरती रॉय ने कहा कि ई-बसों की पहुंच अभी तक कुछ बड़े शहरों तक सीमित थी, लेकिन अब इन्हें अन्य शहरों में भी शुरू किया जा रहा है। इससे देशभर में ई-बसों को अपनाने की गति तेज होने की उम्मीद है।
ई-बसों की वैश्विक औसत से तुलना: भारत अभी पीछे
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में प्रति मिलियन लोगों पर सिर्फ 6 ई-बसें हैं, जबकि वैश्विक औसत 85 ई-बसें प्रति मिलियन है। इस अंतर को कम करने के लिए सरकार ने नीतिगत पहल और सरकारी समर्थन बढ़ाया है, जो निकट भविष्य में जारी रहेगा।
ई-बस निर्माण की क्षमता और बाजार पर पकड़
भारत में ई-बस निर्माण की काफी संभावनाएं हैं। पांच प्रमुख कंपनियों की कुल बाजार हिस्सेदारी 85% से अधिक है और वे सालाना 40,500 ई-बसें बनाने में सक्षम हैं।
एसटीयू के बकाया ऑर्डर और जीसीसी मॉडल से बढ़ेगी ई-बसों की संख्या
हाल के दिनों में कई स्टेट ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (एसटीयू) ने नीलामी आयोजित की है, जिससे बड़ी संख्या में बकाया ऑर्डर बुक तैयार हुई है। ग्रोस कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट (जीसीसी मॉडल) से ई-बसों की संख्या तेजी से बढ़ने की संभावना है, हालांकि एसटीयू की कमजोर वित्तीय स्थिति चिंता का विषय बनी हुई है।
ई-बसों की कुल लागत डीजल बसों से 15-20% कम
एसी ई-बसों की टोटल कॉस्ट ऑफ ओनरशिप (TCO) 12 साल की अवधि में एसी डीजल बसों की तुलना में 15-20% कम है, जिससे यह लंबी अवधि में अधिक आकर्षक विकल्प बन जाती है।
सरकारी नीतियों से मिलेगी ई-बस बाजार को रफ्तार
रिपोर्ट के अनुसार, पीएम ई-बस सेवा और पीएम ई-ड्राइव जैसी सरकारी नीतियों की वजह से ई-बसों की वार्षिक बिक्री में और अधिक तेजी आने की संभावना है।