
नई दिल्ली: जोमैटो की हालिया शेयरहोल्डर मीटिंग में कंपनी के फूड डिलीवरी सेगमेंट में अपेक्षित वृद्धि न होने पर चर्चा हुई। कंपनी के सीईओ दीपिंदर गोयल ने इस धीमी विकास दर को अस्थायी करार दिया और निवेशकों को आश्वासन दिया कि आने वाले समय में सुधार की पूरी संभावना है।
गोयल ने बताया कि नवंबर में साल-दर-साल (YoY) विकास दर कंपनी के निर्धारित 20 फीसदी लक्ष्य से नीचे रही। उन्होंने इस गिरावट के तीन मुख्य कारण गिनाए, जो वर्तमान में पूरे खाद्य वितरण उद्योग को प्रभावित कर रहे हैं।
उपभोक्ता खर्च में कमी बनी मुख्य चुनौती
गोयल के अनुसार, पहला कारण उपभोक्ता खर्च में आई सामान्य मंदी है। लोग अब विवेकाधीन खर्च, खासकर रेस्तरां के भोजन जैसी श्रेणियों में, पहले की तुलना में कम खर्च कर रहे हैं। इसका सीधा असर फूड डिलीवरी व्यवसाय पर पड़ा है।
डिलीवरी पार्टनर्स की अस्थायी कमी
दूसरा बड़ा कारण डिलीवरी पार्टनर्स की अस्थायी कमी है। गोयल ने बताया कि तेजी से उभरते ‘क्विक कॉमर्स’ सेक्टर में डिलीवरी कर्मियों की भारी मांग है, जिसके चलते जोमैटो को अपनी आवश्यकतानुसार डिलीवरी स्टाफ नहीं मिल पा रहा। इससे ऑर्डर की पूर्ति में बाधा उत्पन्न हुई।
क्विक कॉमर्स से बढ़ती प्रतिस्पर्धा
तीसरा कारण क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स से मिल रही कड़ी प्रतिस्पर्धा है। ये प्लेटफॉर्म पैकेज्ड फूड और जरूरी वस्तुएं कुछ ही मिनटों में डिलीवर कर रहे हैं, जिससे ग्राहकों का झुकाव तेज और सुविधाजनक विकल्पों की ओर बढ़ा है। इसके चलते पारंपरिक रेस्तरां डिलीवरी की मांग में गिरावट देखी गई है।
19,000 रेस्तरां को हटाया गया
बाहरी कारणों के साथ-साथ, जोमैटो ने दो आंतरिक निर्णयों के बारे में भी बताया, जिन्होंने तिमाही के प्रदर्शन को प्रभावित किया। कंपनी ने प्लेटफॉर्म से करीब 19,000 रेस्तरां को हटाया। गोयल ने स्पष्ट किया कि ये रेस्तरां या तो खराब स्वच्छता मानकों का पालन कर रहे थे, या नकली ब्रांड बनाकर ग्राहकों को भ्रमित कर रहे थे। इसके अलावा, कुछ ने एक जैसे मेनू के साथ कई लिस्टिंग कर रखी थीं, ताकि प्लेटफॉर्म पर अधिक दृश्यता मिल सके।
भविष्य की रणनीति पर भरोसा
हालांकि मौजूदा स्थिति चुनौतीपूर्ण है, गोयल ने भरोसा जताया कि कंपनी आने वाले समय में बेहतर प्रदर्शन करेगी। उन्होंने कहा कि जोमैटो गुणवत्ता और विश्वसनीयता पर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगी, और यही दीर्घकालिक विकास की कुंजी है।