
देहरादून: शहर में चाइल्ड बैगिंग (बाल भिक्षावृत्ति) के साथ-साथ अब व्यस्क भिक्षावृत्ति पर भी रोक लगाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। इसके लिए जिला प्रशासन और बैगर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के बीच एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस परियोजना को सफल बनाने के लिए पिछले तीन महीनों से मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) और समाज कल्याण अधिकारी प्रयासरत थे, और अब यह एमओयू धरातल पर उतरने के लिए तैयार है।
भिक्षावृत्ति रोकथाम के लिए प्रशासन का बड़ा कदम
देहरादून में बाल और व्यस्क भिक्षावृत्ति एक गंभीर समस्या बनी हुई है। इसे रोकने के लिए जिला प्रशासन ने बैगर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के साथ मिलकर व्यवस्थित पुनर्वास योजना पर काम करने का निर्णय लिया है। इसके तहत भिक्षावृत्ति में लिप्त लोगों को पुनर्वासित किया जाएगा और उनके लिए आजीविका के नए साधन उपलब्ध कराए जाएंगे।
तीन महीने की मेहनत के बाद एमओयू सफल
पिछले तीन महीनों से मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) और समाज कल्याण अधिकारी इस परियोजना को लागू करने के लिए कार्य कर रहे थे। अब एमओयू पर हस्ताक्षर होने के बाद यह योजना जल्द ही प्रभावी रूप से लागू की जाएगी।
पुनर्वास और सामाजिक जागरूकता पर जोर
इस योजना के तहत प्रशासन भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों और व्यस्कों को शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार से जोड़ने का प्रयास करेगा। इसके अलावा, लोगों को भिक्षावृत्ति के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष अभियान भी चलाए जाएंगे।
जल्द शुरू होगा अभियान
प्रशासन और बैगर कॉर्पोरेशन लिमिटेड की इस साझेदारी के तहत भिक्षावृत्ति मुक्त देहरादून बनाने के लिए जल्द ही अभियान शुरू किया जाएगा। इस पहल से शहर की सड़कों पर भीख मांगने वाले लोगों की संख्या में कमी लाने और उनके पुनर्वास की प्रक्रिया को गति देने की उम्मीद है।