
सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलने पर हाईकोर्ट ने जताई चिंता
नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में कूड़ा बीनने वाले लोगों और उनके बच्चों को सरकारी योजनाओं का लाभ न दिए जाने के मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की रिपोर्ट के आधार पर यह कदम उठाया।
न्यायमित्र को सौंपा जिम्मा, 9 जनवरी तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश
कोर्ट ने न्यायमित्र अवनीश को निर्देश दिया कि वे स्वयं जाकर इन लोगों की समस्याओं को देखें। यह जांच की जाए कि उन्हें और उनके बच्चों को राज्य और केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है या नहीं। न्यायमित्र को 9 जनवरी तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है।
सरकार की ओर से रिपोर्ट पेश, 1200 लोग चिन्हित
राज्य सरकार ने कोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट में बताया कि अब तक प्रदेश में 1200 कूड़ा बीनने वालों को चिन्हित किया गया है। इनमें से अधिकांश को वोटर आईडी, राशन कार्ड और आधार कार्ड दिए जा चुके हैं। साथ ही, कई लोग सरकारी योजनाओं का लाभ भी उठा रहे हैं। सरकार ने इनके लिए स्थायी और अस्थायी शेल्टर होम का निर्माण किया है। ठंड से बचाव के लिए कंबल और अलाव की भी व्यवस्था की गई है।
बच्चों की शिक्षा और विकास पर विशेष जोर
सरकार ने कोर्ट को बताया कि कूड़ा बीनने वालों के बच्चों की शिक्षा पर ध्यान दिया जा रहा है। न्यायमित्र ने बताया कि पहले इनकी संख्या 550 बताई गई थी, जो अब करीब 1000 तक पहुंच चुकी है। हालांकि, प्रदेश में इनकी संख्या इससे अधिक होने की संभावना है।
समाज का अहम हिस्सा, योजनाओं का लाभ देना जरूरी
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक, कूड़ा बीनने वाले न केवल पर्यावरण मित्र हैं, बल्कि समाज का अहम हिस्सा भी हैं। उनकी और उनके बच्चों की जरूरतों को पूरा करना आवश्यक है। रिपोर्ट में कहा गया कि उनके बच्चों को काम में न लगाकर शिक्षा और विकास का अवसर देना होगा ताकि वे बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सकें।
अगली सुनवाई 9 जनवरी को
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस दिशा में और अधिक प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। अब इस मामले की अगली सुनवाई 9 जनवरी को होगी, जहां न्यायमित्र की रिपोर्ट और सरकार की कार्यवाही का जायजा लिया जाएगा।