
देहरादून: सार्वजनिक संबंधों और संचार के क्षेत्र में अग्रणी संस्था पीआरएसआई (Public Relations Society of India) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजीत पाठक ने देहरादून चैप्टर की सराहना करते हुए इसे देश के सबसे सक्रिय चैप्टरों में से एक बताया। उन्होंने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि देहरादून चैप्टर ने सार्वजनिक संबंधों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और यहां के सदस्य संगठन की दिशा और नीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
डॉ. अजीत पाठक ने उत्तराखंड राज्य के आगामी रजत जयंती वर्ष के बारे में भी बात की, जो नवंबर 2025 में राज्य की स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक अवसर पर राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन देहरादून में करना एक स्वागत योग्य निर्णय है, जो न केवल राज्य की समृद्धि और विकास को सम्मानित करेगा, बल्कि पीआरएसआई के प्रयासों को भी बढ़ावा देगा।
डॉ. पाठक ने कहा, “उत्तराखंड राज्य की स्थापना के 25 वर्षों के भीतर राज्य ने न केवल शिक्षा, पर्यटन और समाजिक विकास में महत्वपूर्ण प्रगति की है, बल्कि इसके सार्वजनिक संबंधों के क्षेत्र में भी उत्कृष्ट कार्य हुआ है। देहरादून चैप्टर ने इस दिशा में उल्लेखनीय योगदान दिया है।”
उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन देहरादून में उत्तराखंड के विकास को नई दिशा देने के लिए एक प्रेरणा बनेगा। यह आयोजन राज्य के विभिन्न हिस्सों से आए पेशेवरों और विशेषज्ञों के बीच संवाद और विचार-विमर्श का एक बड़ा मंच प्रदान करेगा।
पीआरएसआई की देहरादून चैप्टर की सक्रियता का उल्लेख करते हुए डॉ. पाठक ने कहा कि यहां के सदस्य न केवल सार्वजनिक संबंधों के क्षेत्र में उच्चतम मानकों को बनाए रखते हैं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर भी अपनी आवाज उठाते हैं। इस चैप्टर के द्वारा आयोजित कार्यक्रमों और कार्यशालाओं ने राज्य में संवाद की गुणवत्ता को बढ़ाया है और पीआरएसआई की राष्ट्रीय नीति को प्रोत्साहित किया है।
इस मौके पर पीआरएसआई के सदस्य, राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों और अन्य प्रमुख व्यक्तित्व भी मौजूद थे। उन्होंने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि देहरादून चैप्टर के प्रयासों से पीआरएसआई को एक नई ऊर्जा और दिशा मिली है।
इस अवसर पर डॉ. अजीत पाठक ने सभी को आगामी राष्ट्रीय अधिवेशन की सफलता की शुभकामनाएं दी और विश्वास जताया कि यह आयोजन उत्तराखंड के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगा।