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उत्तराखंड में ₹2,500 करोड़ का फैंटेसी गेमिंग घोटाला: हर दिन 20 लाख युवा गवां रहे ₹7 करोड़, सरकार पर मिलीभगत के आरोप

₹2,500 crore fantasy gaming scam in Uttarakhand: 20 lakh youth losing ₹7 crore every day, government accused of complicity

देहरादून: उत्तराखंड इस समय एक भयावह वित्तीय और सामाजिक संकट से जूझ रहा है। राज्य के 20 लाख बेरोजगार युवा हर दिन ₹7 करोड़ ऑनलाइन फैंटेसी गेमिंग प्लेटफॉर्म्स पर गंवा रहे हैं — यानी सालाना करीब ₹2,500 करोड़ का नुकसान। यह कोई मामूली मामला नहीं, बल्कि एक डिजिटल जुए की महामारी बन चुकी है, जिसकी चपेट में राज्य की युवा पीढ़ी बर्बादी की कगार पर पहुंच चुकी है।


झूठे सपनों का जाल: फर्जी प्रचार से फंसे युवा

ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां फर्जी ‘विजेताओं’ की कहानियां और चकाचौंध भरे विज्ञापन दिखाकर बेरोजगार युवाओं को अपने जाल में फंसा रही हैं। गरीबी से अमीरी तक पहुंचने की नकली कहानियों के दम पर युवाओं को लालच दिया जा रहा है, लेकिन असलियत में उन्हें कर्ज, अवसाद और आत्महत्या की ओर धकेला जा रहा है।


सरकारी चुप्पी या मिलीभगत?

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि राज्य सरकार पर इस घोटाले में मिलीभगत के आरोप लग रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, सरकार के शीर्ष अधिकारी इन गेमिंग कंपनियों से आर्थिक लाभ उठा रहे हैं। सवाल उठता है कि जब आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्य ऐसे प्लेटफॉर्म्स पर रोक लगा चुके हैं, तो उत्तराखंड में यह खुलेआम क्यों फल-फूल रहा है?


मानसिक स्वास्थ्य पर भारी असर

मनोचिकित्सकों की मानें तो राज्य में गेमिंग की लत, अवसाद और आत्महत्या के मामलों में तेजी आई है। हजारों परिवार इस संकट से टूट चुके हैं, लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।


₹45,000 करोड़ की इंडस्ट्री और नेताओं का लालच

देशभर में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग की कीमत ₹45,000 करोड़ से अधिक है और अकेले 2023-24 की पहली छमाही में इसने ₹6,909 करोड़ का GST दिया। क्या इसी राजस्व के लालच में अधिकारी युवाओं की बर्बादी पर आंखें मूंदे हुए हैं?


जनता का आक्रोश: अब और नहीं सहेंगे

यह घोटाला अब एक सामाजिक विस्फोट की तरह उभर रहा है। लोग पूछ रहे हैं:

  • क्यों सरकार फर्जी प्रचार को रोकने में नाकाम रही?
  • किन अधिकारियों को इस घोटाले से लाभ हो रहा है?
  • युवाओं की जिंदगी से बड़ा मुनाफा कैसे हो गया?

जन आंदोलन की पुकार

इस प्रेस नोट में जनता से अपील की गई है:

  1. तुरंत प्रतिबंध: सभी रियल-मनी फैंटेसी गेमिंग ऐप्स पर तत्काल रोक लगाई जाए।
  2. जांच शुरू हो: सरकार और कंपनियों की मिलीभगत की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए।
  3. पीड़ितों को न्याय: लत से पीड़ितों के लिए रिकवरी प्रोग्राम और आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।
  4. जन आंदोलन: हर नागरिक आगे आए, आवाज़ उठाए और भ्रष्ट नेताओं को जवाबदेह बनाए।

दुनिया देख रही है

यह सिर्फ उत्तराखंड का नहीं, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी का मुद्दा बन चुका है। मानवाधिकार संगठनों, अंतरराष्ट्रीय मीडिया और निगरानी एजेंसियों से अपील की गई है कि वे इस घोटाले की जांच करें और उत्तराखंड के युवाओं की आवाज़ दुनिया तक पहुंचाएं।

अब समय आ गया है: या तो सरकार बदले, या जनता बदल दे।

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