
नई दिल्ली: दुनिया की प्रमुख अंतरिक्ष और संचार प्रौद्योगिकी कंपनी स्पेसएक्स की ब्रॉडबैंड सेवा शाखा स्टारलिंक जल्द ही भारत में अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने जा रही है। कंपनी को हाल ही में भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (DoT) की ओर से GMPCS (ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट) लाइसेंस मिल चुका है। इस मंजूरी के साथ ही कंपनी को देशभर में सैटेलाइट के ज़रिए इंटरनेट सेवा देने की अनुमति मिल गई है।
ग्राहकों को क्या मिलेगा?
स्टारलिंक की सेवाओं का लाभ उठाने के लिए उपभोक्ताओं को सबसे पहले एक विशेष सैटेलाइट डिश और राउटर खरीदना होगा, जिसकी अनुमानित कीमत ₹33,000 बताई जा रही है। इसके बाद, उपयोगकर्ताओं को हर महीने ₹3,000 का सब्सक्रिप्शन शुल्क देना होगा, जिसके बदले उन्हें असीमित डेटा की सुविधा दी जाएगी।
सूत्रों के अनुसार, कंपनी अपनी मार्केटिंग रणनीति के तहत ग्राहकों को एक महीने का फ्री ट्रायल भी दे सकती है। इससे उपभोक्ता सेवा की गुणवत्ता का अनुभव करने के बाद भुगतान आधारित योजना को अपनाने का निर्णय ले सकेंगे।
कनेक्टिविटी में होगा बड़ा सुधार
स्टारलिंक की यह तकनीक उन क्षेत्रों में इंटरनेट पहुंचाने के लिए बेहद कारगर है जहां अब तक परंपरागत ब्रॉडबैंड या मोबाइल नेटवर्क नहीं पहुंच पाए हैं। खासकर पहाड़ी और ग्रामीण क्षेत्रों में यह सेवा एक डिजिटल लाइफलाइन का कार्य कर सकती है।
स्टारलिंक ने अब तक पृथ्वी की निचली कक्षा में लगभग 5000 सैटेलाइट्स स्थापित किए हैं, जो सीधे उपयोगकर्ताओं को इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करेंगे। कंपनी का उद्देश्य भविष्य में इस संख्या को 42,000 सैटेलाइट्स तक बढ़ाना है ताकि वैश्विक स्तर पर हाई-स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराया जा सके।
भारत के लिए नया अवसर
भारत के डिजिटल मिशन को गति देने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे ग्रामीण शिक्षा, ई-स्वास्थ्य सेवाएं, कृषि क्षेत्र और छोटे व्यवसाय को डिजिटल रूप से सशक्त किया जा सकेगा।
स्टारलिंक की एंट्री से टेलीकॉम सेक्टर में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और देश के करोड़ों लोगों को इंटरनेट से जोड़ने की दिशा में एक नई उम्मीद जगेगी।