
एर्नाकुलम: दुनिया की सबसे छोटी मस्जिद को लेकर अक्सर लोग अटकलें लगाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह अनोखी मस्जिद भारत के केरल राज्य के एर्नाकुलम जिले में स्थित है? यह भूमिगत मस्जिद अल मुबाशिरीन किसी भी धर्म के लोगों के लिए खुली है, जहां कोई भी आकर प्रार्थना कर सकता है। धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने वाली इस मस्जिद की विशेष बनावट और उद्देश्य ने इसे अनूठा बना दिया है।
भूमिगत मस्जिद का निर्माण और अनोखी बनावट
कोठामंगलम के पचेटी क्षेत्र में स्थित अल मुबाशिरीन मस्जिद दुनिया की सबसे छोटी भूमिगत मस्जिदों में से एक मानी जाती है। यह मस्जिद मैग्स चैरिटेबल सोसाइटी के अध्यक्ष और सूफी आध्यात्मिक गुरु यूनुस शाह कादिरी चिश्ती के नेतृत्व में बनाई गई थी। इसे सिर्फ 60 दिनों में तैयार किया गया और 3 फरवरी 2024 को भक्तों के लिए खोल दिया गया।
इसका कुल क्षेत्रफल 80 वर्ग मीटर है और इसे करीब 65 मीटर गहराई तक खुदाई करके बनाया गया है। मस्जिद में प्रार्थना के लिए एक हॉल के साथ अन्य धर्मों के लोगों के लिए भी ध्यान और पूजा करने की विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।
मस्जिद का अद्वितीय प्रवेश द्वार और सुरंगें
जब आप मस्जिद के प्रवेश द्वार से अंदर जाते हैं, तो आपको एक सीढ़ी नीचे ले जाती है। जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, दो अलग-अलग दिशाओं में जाने वाली सुरंगें नजर आती हैं। इन सुरंगों को ठोस चट्टानों को काटकर तैयार किया गया है, जिससे यह पूरी संरचना मजबूत और सुरक्षित बनी हुई है।
इनमें से एक सुरंग ध्यान और प्रार्थना के लिए बनाई गई है, जहां मेडिटेशन बेंच और दो विशेष कमरे भी उपलब्ध हैं। दूसरी सुरंग से आगे बढ़ने पर आप मुख्य मस्जिद तक पहुंचते हैं, जो अपने छोटे आकार और अनोखी वास्तुकला के कारण सभी का ध्यान आकर्षित करती है।
हर धर्म के लोगों के लिए खुला दरवाजा
मस्जिद के निर्माण का उद्देश्य केवल इस्लामिक प्रार्थनाओं तक सीमित नहीं है। यहां किसी भी धर्म के लोग अपनी आस्था के अनुसार ध्यान और पूजा कर सकते हैं। सोसाइटी के अध्यक्ष यूनुस शाह कादिरी चिश्ती का मानना है कि अगर सभी धर्मों के लोग एक साथ प्रार्थना करेंगे, तो उनके बीच प्रतिस्पर्धा खत्म होगी और आध्यात्मिकता की भावना प्रबल होगी।
धार्मिक सद्भाव का प्रतीक बनी यह अनोखी मस्जिद
यह मस्जिद केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द और शांति का प्रतीक भी है। दुनियाभर से लोग इसे देखने आ रहे हैं और इसकी अनूठी संरचना और विचारधारा से प्रभावित हो रहे हैं। यह मस्जिद भारत में धार्मिक एकता और सहिष्णुता की एक नई मिसाल पेश कर रही है।