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असीम रावत की प्रेरणादायक कहानी: विदेश छोड़ गांव में शुरू किया गाय पालन, खड़ी की 8 करोड़ की कंपनी

Inspiring story of Aseem Rawat: Left abroad and started cow rearing in the village, built a company worth Rs 8 crore

नई दिल्ली: यूरोप और अमेरिका में शानदार सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़कर असीम रावत ने अपने गांव गाजियाबाद के सिकंदरपुर में गाय पालन का व्यवसाय शुरू किया। उन्होंने “हेता” नाम से डेयरी फार्म स्थापित किया, जो आज 6-8 करोड़ रुपये का टर्नओवर कर रहा है। उनकी गौशाला में केवल भारतीय नस्ल की गायें हैं, जहां एथिकल मिल्किंग पद्धति अपनाई जाती है।

विदेशी नौकरी छोड़ गौशाला की शुरुआत

असीम रावत ने 14 साल तक विदेश में नौकरी की, लेकिन उन्हें लगा कि पैसा ही सब कुछ नहीं होता, जीवन का एक उद्देश्य भी होना चाहिए। एक कार्यक्रम में उन्होंने सुना कि देसी गायों से डेयरी व्यवसाय संभव नहीं है। यह बात उन्हें अंदर तक चुभ गई। तभी उन्होंने तय किया कि एक आत्मनिर्भर और प्रॉफिटेबल मॉडल तैयार करेंगे, जहां भारतीय नस्ल की गायों का संरक्षण किया जा सके।

दो गायों से शुरू किया सफर, आज 1000 से ज्यादा गायें

जब असीम ने अपने परिवार को इस निर्णय के बारे में बताया तो वे चिंतित हो गए। लेकिन उनकी मजबूत इच्छाशक्ति के कारण परिवार ने भी उनका साथ दिया। उन्होंने सिर्फ दो गायों से शुरुआत की, जिसमें समाज की आलोचना और आर्थिक संघर्ष जैसी कई चुनौतियां सामने आईं। धीरे-धीरे लोग जुड़ते गए और आज उनकी गौशाला में 1000 से ज्यादा गायें हैं। यहां से 131 तरह के उत्पाद बनाए जाते हैं, जिनमें दूध, दही, घी, गौमूत्र और जैविक खाद शामिल हैं।

भारतीय नस्ल की गायों पर फोकस

असीम सिर्फ गिर, साहीवाल, थारपारकर और हिमालय बद्री नस्ल की गायों को पालते हैं। उनका मानना है कि विदेशी नस्लों के दूध में A1 प्रोटीन पाया जाता है, जिससे डायबिटीज जैसी बीमारियां हो सकती हैं। जबकि भारतीय नस्ल की गायों के दूध में A2 प्रोटीन होता है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।

एथिकल मिल्किंग और जैविक खेती का पालन

उनकी गौशाला में एथिकल मिल्किंग होती है, जिसमें गाय का आधा दूध बछड़े के लिए छोड़ा जाता है और सिर्फ दो थनों से दूध निकाला जाता है। इसके अलावा, जैविक खेती के लिए गोबर और गौमूत्र से ऑर्गेनिक खाद और औषधियां भी बनाई जाती हैं।

180 रुपये लीटर दूध, 4000 रुपये लीटर घी

उनकी डेयरी में दूध की कीमत ₹180 प्रति लीटर और घी की कीमत ₹4000 प्रति लीटर तक है। इसका कारण यह है कि उनकी गायों को गाजर, चुकंदर, ज्वार, बाजरा और हाइड्रोपोनिक चारे से पोषण दिया जाता है। वे केमिकल-फ्री आहार खिलाते हैं, जिससे दूध की गुणवत्ता बेहतरीन होती है।

सरकार से सम्मान और पीएम मोदी से मुलाकात

2018 में असीम रावत को ‘गोपाल रत्न पुरस्कार’ से नवाजा गया, जो डेयरी सेक्टर का सबसे बड़ा पुरस्कार है। उन्हें ‘स्टार्टअप ऑफ द ईयर’ समेत कई अन्य पुरस्कार भी मिले। बाद में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने का मौका मिला। इस दौरान उनकी गौशाला की साहीवाल गाय की तस्वीर वेटरनरी मोबाइल वैन पर छपी, जो उनके लिए गर्व का क्षण था।

युवाओं को सलाह: विजन और मेहनत से ही सफलता मिलेगी

असीम रावत का कहना है कि जो युवा डेयरी उद्योग में आना चाहते हैं, उन्हें सच्चे मन से यह काम करना चाहिए। उन्होंने बताया कि यह बिजनेस बेईमानी से नहीं चल सकता, इसमें विजन और टीम वर्क जरूरी है।

विदेश से बेहतर है देश में सफलता पाना

असीम कहते हैं कि सिर्फ विदेश जाना ही सफलता नहीं है। भारत में भी अपार अवसर हैं। असली सफलता सिर्फ पैसा कमाने में नहीं, बल्कि समाज और देश के लिए कुछ करने में है। उनकी यह कहानी दृढ़ संकल्प और मेहनत की मिसाल है।

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