टिहरी (उत्तराखंड) 21 नवंबर, 2024: उत्तराखंड के टिहरी बांध ने ऊर्जा क्षेत्र में एक और बड़ी सफलता हासिल की है। भारत के पहले वेरिएबल स्पीड पंप स्टोरेज प्लांट (पीएसपी) की 250 मेगावाट की पहली यूनिट को राष्ट्रीय ग्रिड से सफलतापूर्वक जोड़ा गया है। यह उपलब्धि टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड और सहायक कंपनियों के इंजीनियरों के अथक प्रयासों से संभव हो सकी।
राष्ट्रीय ग्रिड से जुड़ी पहली यूनिट
19 नवंबर 2024 को शाम 5:50 बजे पंप स्टोरेज प्लांट (पीएसपी) की पहली यूनिट को राष्ट्रीय ग्रिड से जोड़ दिया गया। यह यूनिट अगले एक सप्ताह में पूरी तरह से बिजली उत्पादन शुरू कर देगी। 2025 के अंत तक पीएसपी की चारों यूनिटें चालू हो जाएंगी, जिससे 1000 मेगावाट अतिरिक्त बिजली उत्पादन होगा।
ऊर्जा के क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम
टीएचडीसी के सीएमडी आर के विश्नोई ने इसे भारत के ऊर्जा भविष्य के लिए एक मील का पत्थर बताया। यह पंप स्टोरेज प्लांट जल ऊर्जा को रिवर्सिबल तकनीक से उपयोग कर बिजली बनाएगा। विश्नोई ने कहा कि यह परियोजना नवीकरणीय ऊर्जा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के साथ-साथ ग्रिड स्थिरता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगी।
वैश्विक मानकों की ओर भारत
टिहरी की इस परियोजना को एशिया में चीन की समान तकनीक वाली परियोजना के बाद दूसरा बड़ा प्रयास माना जा रहा है। टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक एलपी जोशी ने इसे टिहरी बांध परियोजना के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया, जिससे देश-विदेश में परियोजना की पहचान और प्रतिष्ठा बढ़ी है।
अन्य परियोजनाओं का विस्तार
टीएचडीसी ने महाराष्ट्र, गुजरात, और कर्नाटक में भी पंप स्टोरेज प्लांट के लिए समझौते किए हैं। यह देश को ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने और अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का लक्ष्य रखता है।
नेताओं की सराहना
विद्युत मंत्रालय के सचिव पंकज अग्रवाल और एनटीपीसी के सीएमडी गुरदीप सिंह ने इस उपलब्धि के लिए टीएचडीसी और पीएसपी टीम की सराहना की। उन्होंने इसे अन्य पंप स्टोरेज परियोजनाओं के लिए प्रेरणास्रोत बताया।
टिहरी के लिए गर्व का पल
टिहरी की जनता और टीएचडीसी के सभी अधिकारी इस उपलब्धि से उत्साहित हैं। यह परियोजना टिहरी हाइड्रो पावर कॉम्प्लेक्स को 2400 मेगावाट की कुल स्थापित क्षमता के साथ पूर्ण संचालन के करीब ला रही है।
टिहरी पंप स्टोरेज प्लांट न केवल भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि भविष्य के लिए एक स्थायी और लचीले ऊर्जा स्रोत का भी उदाहरण बनेगा। यह टिहरी बांध को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में एक और बड़ा कदम है।