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बीजेपी विधायक आदेश चौहान को सीबीआई कोर्ट से सजा, पुलिसकर्मियों समेत पांच दोषी करार

BJP MLA Adesh Chauhan sentenced by CBI court, five including policemen found guilty

देहरादून: उत्तराखंड में एक पुराने पुलिस कस्टडी मारपीट मामले में बड़ा फैसला सामने आया है। सीबीआई की विशेष अदालत ने हरिद्वार जिले के रानीपुर से भाजपा विधायक आदेश चौहान सहित पांच लोगों को दोषी मानते हुए सजा सुनाई है। इस मामले में तीन पुलिसकर्मी और विधायक की भांजी भी शामिल हैं।

2009 में शुरू हुआ था विवाद

यह प्रकरण वर्ष 2009 का है, जब आदेश चौहान विधायक नहीं थे। उनकी भांजी दीपिका और उनके पति मनीष के बीच पारिवारिक विवाद हुआ था, जो बाद में पुलिस तक पहुंचा। दीपिका की शिकायत पर पुलिस ने मनीष को हिरासत में ले लिया। इसके बाद दोनों परिवारों में सुलह भी हुई और मनीष व दीपिका ने तलाक ले लिया।

लेकिन मामला तब फिर सामने आया जब मनीष ने 2019 में मारपीट का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में शिकायत दाखिल की। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिए।

सीबीआई ने किया था गहन अनुसंधान

जांच के दौरान सीबीआई ने पाया कि मनीष की शिकायत में दिए गए आरोप सही हैं। पहले जांच में विधायक आदेश चौहान का नाम नहीं था, लेकिन 2021 में उन्हें भी आरोपियों की सूची में जोड़ा गया।

सीबीआई कोर्ट ने विधायक आदेश चौहान, उनकी भांजी दीपिका, और तीन पुलिसकर्मियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई। हालांकि, तीन में से एक पुलिसकर्मी की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी।

कोर्ट का निर्णय और सजा

सीबीआई कोर्ट ने विधायक आदेश चौहान और उनकी भांजी दीपिका को 6-6 महीने की सजा सुनाई है। वहीं, जीवित दो पुलिसकर्मियों को एक साल की सजा दी गई। कोर्ट से सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद सभी दोषियों को जमानत मिल गई।

विधायक का बयान

आदेश चौहान ने कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह कोई राजनीतिक मामला नहीं है, बल्कि पारिवारिक विवाद था। कोर्ट का फैसला आया है, आगे की प्रक्रिया देखेंगे।”

विधायक के वकील नीरज कांबोज ने बताया कि कुछ धाराओं में आरोपियों को दोषमुक्त किया गया है, जबकि कुछ में सजा दी गई है। यह मामला संवेदनशील था और अदालत ने सभी पक्षों की सुनवाई के बाद निर्णय दिया है।

सीबीआई कोर्ट का यह फैसला उत्तराखंड की राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह स्पष्ट संकेत है कि न्याय की प्रक्रिया में कोई भेदभाव नहीं किया जाता, चाहे वह जनप्रतिनिधि ही क्यों न हो।

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