
दक्षिण अमेरिका की यात्रा पर गए भारतीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक सफलता मिली है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में कोलंबिया पहुंचे प्रतिनिधिमंडल ने जिस प्रभावी ढंग से भारत का पक्ष रखा, उसके बाद कोलंबिया सरकार को अपने पहले दिए गए बयान को वापस लेना पड़ा, जिसमें उसने पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति जताई थी।
यह घटना उस समय सामने आई जब कोलंबिया ने ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान में हुए जानमाल के नुकसान पर संवेदना व्यक्त की थी, लेकिन जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के भारतीय पीड़ितों को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। इस पक्षपातपूर्ण रवैये पर शशि थरूर ने तीखी आपत्ति जताई।
बोगोटा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान थरूर ने कहा, “भारत इस बात से निराश है कि कोलंबियाई सरकार ने पाकिस्तान में हुई मौतों पर तो संवेदना प्रकट की, लेकिन आतंकवादी हमलों में मारे गए भारतीय नागरिकों को लेकर कोई सहानुभूति नहीं जताई।” उन्होंने आगे कहा कि “आतंक का मुकाबला करने वालों और उसे फैलाने वालों को एक तराजू में नहीं तोला जा सकता।”
थरूर के इस स्पष्ट और प्रभावशाली वक्तव्य का असर जल्द ही देखने को मिला और 48 घंटे के भीतर कोलंबिया ने अपना पहले वाला बयान वापस ले लिया। इस घटनाक्रम को भारत की आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति की एक बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है।
यह घटनाक्रम न केवल भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को मजबूत करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जब भारत अपने रुख पर अडिग रहता है, तो विश्व मंच पर उसका प्रभाव कैसे दिखाई देता है।