
संघर्ष से मिसाल तक – नारी शक्ति की असली पहचान
महिलाओं की असली शक्ति सिर्फ संघर्ष में नहीं, बल्कि उस संघर्ष से उभरकर समाज के लिए मिसाल बनने में है। ईटीवी भारत आज आपको एक ऐसी महिला की कहानी से रूबरू करवा रहा है, जिसने अपने दर्द को ताकत बना लिया। यह कहानी है एसिड अटैक सर्वाइवर कविता बिष्ट की, जिन्होंने अपनी दोनों आंखों की रोशनी खोने के बावजूद हार नहीं मानी और दर्जनों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया।
एकतरफा प्यार बना हादसे की वजह, दिल्ली में युवक ने फेंका एसिड
हल्द्वानी की रहने वाली कविता बिष्ट की जिंदगी 19 साल की उम्र में हमेशा के लिए बदल गई, जब दिल्ली के पास खोड़ा कॉलोनी में काम करने के दौरान एक युवक ने उन पर तेजाब फेंक दिया। इस हमले में उनकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई, और उनकी जिंदगी अंधकारमय हो गई।
34 दिनों तक आईसीयू में जूझीं, फिर तय किया हार नहीं मानेंगी
कविता ने 34 दिनों तक अस्पताल के आईसीयू में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ी। लेकिन यह हादसा उन्हें तोड़ नहीं सका। उन्होंने ठान लिया कि वे अपने हालात से हार नहीं मानेंगी, बल्कि अपनी जिंदगी को नए सिरे से गढ़ेंगी। उन्होंने दिव्यांगता को कमजोरी नहीं, बल्कि अपनी ताकत बना लिया।
महिला सशक्तिकरण की ब्रांड एंबेसडर बनीं, फिर सरकार ने रोकी मदद
साल 2015 में उत्तराखंड सरकार ने कविता बिष्ट को महिला सशक्तिकरण की ब्रांड एंबेसडर बनाया और उन्हें 13,500 रुपये मानदेय दिया जाने लगा। लेकिन सरकार बदलते ही यह सहायता रोक दी गई। बावजूद इसके, कविता ने हार नहीं मानी और अपने संघर्ष की उड़ान जारी रखी।
159 महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर, 50 को दिया रोजगार
आज कविता नैनीताल जिले के रामनगर में कविता वुमेन सपोर्ट होम चलाती हैं, जहां कढ़ाई, बुनाई, सिलाई और हस्तशिल्प का काम होता है। उन्होंने अब तक 159 महिलाओं को प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया और 50 से अधिक महिलाओं को रोजगार दिया।
“महिलाएं कमजोर नहीं, वे खुद को पहचानें तो कुछ भी कर सकती हैं”
कविता का मानना है कि महिलाएं किसी भी परिस्थिति में कमजोर नहीं होतीं। वे कहती हैं, “अगर महिलाएं खुद को पहचान लें, तो वे कुछ भी कर सकती हैं।” अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए वे एक कविता को उद्धृत करती हैं:
“फेंक दिया सो फेंक दिया, अब कसूर भी बता दो मेरा,
तुम्हारा इजहार था, मेरा इंकार था,
बस इतनी सी बात पर, फूंक दिया तुमने चेहरा मेरा..”
नारी शक्ति का प्रतीक हैं कविता बिष्ट
पीएनजी राजकीय पीजी कॉलेज, रामनगर के प्राचार्य डॉ. एमसी पांडे का कहना है कि कविता बिष्ट सिर्फ एक महिला नहीं, बल्कि नारी शक्ति का प्रतीक हैं। समाज को उनकी पहल को आगे बढ़ाने में मदद करनी चाहिए, ताकि वे और अधिक महिलाओं को आत्मनिर्भर बना सकें।
कविता बिष्ट जैसी महिलाओं को सपोर्ट करने की जरूरत
कविता बिष्ट की कहानी यह सिखाती है कि मुश्किलें आएंगी, लेकिन अगर हौसला हो तो कोई भी ताकत आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती। उनकी यह जंग सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि हर उस महिला की है, जो किसी न किसी चुनौती से जूझ रही है। हमें ऐसे लोगों को सपोर्ट करने की जरूरत है, ताकि समाज में बदलाव लाया जा सके।