Blogदेशमनोरंजनराजनीति

दीपावली से पहले बीजेपी नेता हरीश द्विवेदी के ‘सनातनी दुकानों’ से खरीदारी के आह्वान पर बवाल, सोशल मीडिया पर गर्म बहस

Before Diwali, BJP leader Harish Dwivedi's call to shop from 'Sanatani shops' creates ruckus, heated debate on social media

बीजेपी नेता हरीश द्विवेदी के ट्वीट से दीपावली के मौके पर धार्मिक और सामाजिक ध्रुवीकरण की बहस एक बार फिर तूल पकड़ती नजर आ रही है। द्विवेदी ने ट्वीट करते हुए अपने समर्थकों से अपील की कि वे धनतेरस पर केवल “सनातनी” यानी हिंदू दुकानदारों से ही खरीदारी करें। इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर इसकी प्रतिक्रिया हुई, जिसमें कुछ लोग इस बात का समर्थन कर रहे हैं, वहीं अन्य ने इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास बताया।

विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की प्रतिक्रिया

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल जैसे संगठनों ने इस आह्वान का समर्थन किया और कई राज्यों में इसके समर्थन में पोस्टर और बैनर लगवाए हैं। इन पोस्टरों में अपील की गई है कि लोग दिवाली पर हिंदू दुकानदारों से ही खरीदारी करें। यह कदम कथित ‘थूक जिहाद’ और ‘पेशाब मिलाने’ जैसी घटनाओं से बचने का हवाला देकर उठाया गया है, जिनके बारे में आरोप लगाया गया है कि वे कुछ खास समुदायों के लोग कर रहे हैं। बजरंग दल द्वारा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और राजस्थान जैसे राज्यों में ऐसे पोस्टर लगाए गए हैं।

भाजपा प्रवक्ता का समर्थन

बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने ईटीवी भारत को दिए गए एक इंटरव्यू में बयान दिया कि धार्मिक आयोजनों के आसपास केवल उसी धर्म के लोगों की दुकानें होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि “थूक जिहाद” जैसी घटनाओं ने समाज में गलत संदेश भेजा है, और धार्मिक स्थलों के पास खाने-पीने की दुकानें उसी समुदाय के लोगों की होनी चाहिए। सिंह ने इस बात पर भी जोर दिया कि इससे लोगों में सुरक्षा का भाव बढ़ेगा और किसी भी प्रकार की अवांछनीय घटना से बचा जा सकेगा।

विवाद के अन्य पहलू

– **पिछले विवाद:** इससे पहले भी कांवड़ यात्रा के दौरान मुजफ्फरनगर पुलिस ने आदेश जारी किया था कि यात्रा मार्ग के ढाबों और दुकानों पर काम करने वाले कर्मचारियों का नाम और आधार कार्ड का विवरण सामने रखा जाए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि वहां काम करने वाले लोग किन समुदायों से हैं। इस कदम ने भी उस वक्त व्यापक विवाद पैदा किया था।

– **स्थानीय नेताओं की प्रतिक्रिया:** यूपी, एमपी और बिहार के कुछ बीजेपी नेताओं ने भी अपने समर्थकों से अपील की है कि वे केवल “अपने धर्म” के दुकानदारों से ही खरीदारी करें। इससे समुदायों के बीच सामाजिक विभाजन को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं, क्योंकि त्योहार के मौके पर ऐसा बयान समाज में दरार पैदा करने वाला माना जा रहा है।

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं

बीजेपी नेता हरीश द्विवेदी के बयान और इसे समर्थन देने वाले संगठनों की गतिविधियों पर विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। विपक्षी दलों ने इस कदम को त्योहार के समय में समाज को बांटने की साजिश बताया है। वहीं, सोशल मीडिया पर भी लोग इस विषय पर विभाजित हैं, जिसमें कुछ इसे सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान के संरक्षण का प्रयास मानते हैं, तो कुछ इसे धार्मिक असहिष्णुता का प्रतीक बता रहे हैं।

यह विवाद न केवल बीजेपी और विपक्षी दलों के बीच बहस का कारण बना है, बल्कि इससे त्योहारों के मौकों पर धार्मिक-सामाजिक एकता और आपसी सहिष्णुता पर भी सवाल खड़े हुए हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button