मुख्य सचिव ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत व पुनर्वास कार्यों की समीक्षा की
"मुख्य सचिव आनंद बर्दन ने धराली आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत, पुनर्वास और आजीविका सहायता कार्यों की समीक्षा कर दिए महत्वपूर्ण निर्देश"

देहरादून, 27 अगस्त। उत्तराखंड के मुख्य सचिव आनंद बर्दन ने आज सचिवालय में राज्य के आपदा प्रभावित क्षेत्रों, विशेषकर धराली आपदा से प्रभावित इलाकों में राहत व पुनर्वास कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने आपदा प्रबंधन सचिव व गढ़वाल आयुक्त से राहत एवं पुनर्निर्माण कार्यों की प्रगति की जानकारी ली।
मुख्य सचिव ने लोक निर्माण विभाग और सिंचाई विभाग के सचिवों को निर्देश दिए कि वे संयुक्त रूप से प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग के जलमग्न हिस्से के लिए तुरंत वैकल्पिक मार्ग तैयार करें। इसके साथ ही पैदल व अन्य वैकल्पिक मार्गों की मरम्मत कर उन्हें चालू करने के आदेश भी दिए। उन्होंने लगातार खोज अभियान जारी रखने पर बल दिया और आधुनिक तकनीक का उपयोग कर खोज कार्यों को तेज करने के निर्देश दिए।
उन्होंने आपदा प्रभावित लोगों के लिए भोजन व आश्रय की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए। मुख्य सचिव ने कहा कि मुख्य सड़क बाधित होने से प्रभावित क्षेत्रों के किसानों को अपने फल-सब्जियों की बिक्री में कठिनाई हो रही है। इस पर उन्होंने कृषि सचिव को निर्देश दिया कि उद्यान बोर्ड और मंडी परिषद खरीद की व्यवस्था करें। साथ ही जीएमवीएन व केएमवीएन की बाजार समितियों को सक्रिय करने और कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा।
रोजगार सहायता पर जोर देते हुए मुख्य सचिव ने सेब मिशन, कीवी मिशन, वीर चंद्र सिंह गढ़वाली स्वरोजगार योजना और होमस्टे जैसी योजनाओं को प्रभावित लोगों तक पहुंचाने के निर्देश दिए। उन्होंने मृत पशुओं के नुकसान की भरपाई हेतु मुआवजे के वितरण के आदेश भी दिए।
उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों में स्कूल, अस्पताल और आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए प्री-फैब्रिकेटेड भवनों के निर्माण का निर्देश दिया। आपदा में लोगों के प्रमाणपत्र और आवश्यक दस्तावेज नष्ट होने की संभावना को देखते हुए उन्होंने बहुउद्देशीय शिविर लगाकर दस्तावेज उपलब्ध कराने के आदेश दिए।
मुख्य सचिव ने लापता व्यक्तियों, विदेशी पर्यटकों और नेपाली मूल के श्रमिकों के लिए सिविल मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया शुरू करने के भी निर्देश दिए।
संपत्ति नुकसान के आकलन हेतु आधुनिक तकनीक व उपग्रह चित्रों का उपयोग करने और यूकास्ट (UCOST) की सहायता से त्वरित मूल्यांकन कराने को कहा। साथ ही पुरानी रिपोर्ट और यूएसडीएमए द्वारा एकत्रित आंकड़ों के उपयोग पर भी जोर दिया।
उन्होंने यूकास्ट महानिदेशक को निर्देश दिए कि राज्य के सभी ग्लेशियर, झीलों, मोरेन व बोल्डरों के जोखिम मूल्यांकन हेतु एक मॉड्यूल तैयार करें और इसके लिए संबंधित वैज्ञानिक संस्थानों को शामिल कर विशेष टीम का गठन करें।
बैठक में सचिव शैलेश बगोली, डॉ. पंकज कुमार पांडे, कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत, गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडे, सचिव डॉ. सुरेंद्र नारायण पांडे, विनोद कुमार सुमन, युगल किशोर पंत, अपर सचिव डॉ. अहमद इक़बाल, आनंद स्वरूप, आशीष चौहान व हिमांशु खुराना सहित वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।