उत्तराखंड में बारिश ने एक बड़ी आफत का रूप ले लिया है। मूसलाधार बारिश के चलते प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में गंभीर नुकसान देखने को मिला है। लगातार बरसात के कारण नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ गया है, जिससे पानी कई लोगों के घरों में घुस गया है। इसमें कई परिवारों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर दुःखद समाचारों के अनुसार तीन लोगों की मौत हुई है, जबकि चार लोग लापता बताए जा रहे हैं। यह स्थिति काफी चिंताजनक है और इसके प्रति तात्कालिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
बारिश और मलबा आने से राज्य में 324 मार्ग बंद हैं। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, पौड़ी जिले में सबसे अधिक 57 मार्ग बंद हैं। इसके अलावा नैनीताल में 56, चमोली में 50, पिथौरागढ़ में 42, चंपावत में 39, अल्मोड़ा, टिहरी और रुद्रप्रयाग में 17-17, देहरादून में 13, बागेश्वर में 9, उत्तरकाशी में 5 और ऊधम सिंह नगर में 2 सड़कें बंद हैं। आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन के अनुसार, लगातार बारिश कई जिलों में जारी है, जिससे मार्ग खोलने में दिक्कतें आ रही हैं। कुछ स्थानों पर जो मार्ग खोले गए थे, वे भूस्खलन से फिर बंद हो गए। लोक निर्माण विभाग के प्रमुख दीपक यादव का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में मार्ग पहले कभी बंद नहीं हुए थे। सुरक्षा को देखते हुए मार्गों को खोलने का प्रयास किया जा रहा है; शुक्रवार को 62 मार्ग खोले गए हैं। इस बीच, टिहरी बांध का जलस्तर 827.32 मीटर पर पहुंच गया है, जबकि अधिकतम जल स्तर 830 मीटर है।
चमोली की पिंडर घाटी में बारिश से पिंडर नदी उफान पर रही, जिससे सरस्वती शिशु मंदिर, पिंडर पब्लिक स्कूल और बेतालेश्वर मंदिर में पानी भर गया। थराली में नदी किनारे बने पांच से अधिक घरों के भूतल में भी जल भराव हो गया। नदी किनारे और आपदा प्रभावित क्षेत्रों के लोग रातभर जागते रहे। टिहरी जिले में बारिश के कारण लोनिवि की पांच और पीएमजीएसवाई की 10 सड़कें बंद रहीं। पौड़ी जिले के कोटद्वार क्षेत्र में बारिश ने लोनिवि और पीएमजीएसवाई की 33 सड़कों पर आवाजाही को भी प्रभावित किया।