(डीएम) बदले गए हैं, जिनमें आगरा, प्रयागराज, जौनपुर, और आजमगढ़ जैसे प्रमुख जिले शामिल हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में इस कदम का उद्देश्य प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाना और सरकार की योजनाओं को तेजी से लागू करना है।
प्रमुख जिलों में डीएम बदले
तबादलों के दौरान कई जिलों के डीएम को बदला गया है, जिससे उन क्षेत्रों में प्रशासनिक गतिविधियों में तेजी आने की उम्मीद है। शाहजहांपुर में डीपी सिंह, कुशीनगर में विशाल भारद्वाज, मुजफ्फरनगर में उमेश मिश्रा, आजमगढ़ में नवनीत सिंह चहल, प्रयागराज में रवींद्र कुमार मांदड़, आगरा में अरविंद मलप्पा बंगारी, और जौनपुर में डॉ. दिनेश चंद्र को जिलाधिकारी नियुक्त किया गया है। इन अधिकारियों से उम्मीद की जा रही है कि वे अपने जिलों में सुशासन और विकास के कार्यों को गति देंगे।
अन्य प्रमुख पदों पर नियुक्तियां
इसके अलावा, कई अन्य महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर भी अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। भानु चंद्र गोस्वामी को राहत आयुक्त और चकबंदी आयुक्त, अविनाश कृष्ण सिंह को प्राविधिक शिक्षा महानिदेशक, और नवीन कुमार सी.एस को सिंचाई विभाग का सचिव बनाया गया है। इत्याग को विशेष सचिव चीनी उद्योग और गन्ना विकास विभाग का जिम्मा सौंपा गया है, जबकि राजेश कुमार त्यागी को विशेष सचिव पंचायती राज विभाग का प्रभार दिया गया है।
प्रशासनिक सुधार की दिशा में कदम
इस फेरबदल के पीछे सरकार का मकसद प्रशासनिक कार्यकुशलता में सुधार और योजनाओं को जमीन पर तेजी से उतारने का है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार अक्सर इस तरह के तबादले करती रही है ताकि राज्य की विकास प्रक्रिया को सुचारू और प्रभावी बनाया जा सके। इससे कानून-व्यवस्था को भी सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी।
प्रमुख जिलों में विकास की गति तेज होने की उम्मीद
आगरा, प्रयागराज, जौनपुर और आजमगढ़ जैसे महत्वपूर्ण जिलों में नए डीएम की तैनाती से प्रशासनिक सुधार और विकास कार्यों में तेजी आने की उम्मीद है। सरकार को विश्वास है कि ये अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करेंगे और सुशासन को सुनिश्चित करेंगे।
तत्काल कार्यभार ग्रहण के निर्देश
तबादला किए गए सभी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे तुरंत अपने नए पदों का कार्यभार संभालें, ताकि प्रशासनिक कार्यों में किसी प्रकार की देरी न हो और योजनाओं पर तेजी से काम शुरू किया जा सके। सरकार चाहती है कि बदलाव के साथ ही कार्यक्षमता में भी वृद्धि हो, जिससे राज्य के विकास और सुशासन की दिशा में प्रगति हो सके।
इस फेरबदल को सरकार की ओर से एक बड़ा प्रशासनिक सुधार माना जा रहा है, जिससे राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था और अधिक चुस्त-दुरुस्त होगी।