
प्रयागराज: महाकुंभ 2025 से पहले गंगा की स्थिति को लेकर एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) कोर्ट में दायर याचिका पर सोमवार को दिल्ली में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने गंगा की सफाई को लेकर रिपोर्ट में हीलाहवाली पर गहरी नाराजगी जताई और यूपीपीसीबी (उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) के सदस्य सचिव को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का निर्देश दिया।
गंगा जल नहाने लायक भी नहीं!
याचिकाकर्ता अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने महाकुंभ से पहले गंगा की सफाई को लेकर एनजीटी में याचिका दायर की थी। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि कुंभ के दौरान गंगा-यमुना का पानी नहाने और आचमन योग्य होना चाहिए। हालांकि, ताजा रिपोर्ट में फीकल कॉलीफॉर्म और बीओडी (Bio-Chemical Oxygen Demand) का स्तर तय मानकों से अधिक पाया गया, जिससे पानी नहाने लायक भी नहीं है।
यूपीपीसीबी पर गंभीर आरोप, सीपीसीबी की सराहना
कोर्ट ने यूपीपीसीबी पर वास्तविक स्थिति छुपाने का आरोप लगाते हुए सख्त लहजे में चेतावनी दी, जबकि सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) की पारदर्शिता की सराहना की।
अगली सुनवाई में होगी कड़ी कार्रवाई!
एनजीटी ने यूपीपीसीबी के रवैये पर सवाल उठाते हुए अगली सुनवाई में सख्त कार्रवाई के संकेत दिए हैं। कोर्ट ने आदेश दिया है कि सदस्य सचिव व्यक्तिगत रूप से पेश होकर स्थिति स्पष्ट करें।
महाकुंभ से पहले गंगा की शुद्धता को लेकर अब न्यायालय की कड़ी नजर है, जिससे श्रद्धालुओं को स्वच्छ जल उपलब्ध कराने की दिशा में ठोस कदम उठाने की उम्मीद बढ़ गई है।