
SKUAST-K की वैज्ञानिक को मिला 53.59 लाख का अनुसंधान अनुदान
श्रीनगर की शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय – कश्मीर (SKUAST-K) की खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग की शोधकर्ता डॉ. उफ़ाक फैयाज वानी को भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए प्रतिष्ठित बायोकेयर फेलोशिप से सम्मानित किया गया है। यह फेलोशिप महिला वैज्ञानिकों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सशक्त बनाने के उद्देश्य से दी जाती है, ताकि वे अनुसंधान में नेतृत्व की भूमिका निभा सकें।
डॉ. उफ़ाक को इस सम्मान के तहत कुल 53.59 लाख रुपये का अनुसंधान अनुदान प्राप्त होगा, जिसमें से 27 लाख रुपये फेलोशिप के रूप में तथा 26.59 लाख रुपये अनुसंधान आकस्मिकता निधि के रूप में तीन वर्षों के लिए निर्धारित हैं।
पारंपरिक चावल पर नवाचारी शोध करेंगी डॉ. उफ़ाक
बायोकेयर फेलोशिप के अंतर्गत डॉ. उफ़ाक “औषधीय कवक के साथ किण्वित उच्चभूमि हिमालयी चावल का मेटाबोलोमिक्स विश्लेषण” शीर्षक से एक उन्नत शोध परियोजना का नेतृत्व करेंगी। यह अध्ययन कश्मीर के पारंपरिक सुगंधित चावल मुश्क बुदिजी पर केंद्रित होगा। इसका उद्देश्य किण्वन के माध्यम से चावल में पोषण और जैव सक्रिय यौगिकों की जैव उपलब्धता को बढ़ाना है, जिससे यह चावल कार्यात्मक खाद्य विकास के क्षेत्र में अहम भूमिका निभा सके।
शोध में वैश्विक पहचान, अकादमिक और औद्योगिक अनुभव का समन्वय
डॉ. उफ़ाक ने SKUAST-K के खाद्य विज्ञान विभाग से प्रो. सैयद ज़मीर हुसैन के मार्गदर्शन में पीएचडी प्राप्त की है। उनके शोध कार्य साइंटिफिक रिपोर्ट्स और फूड केमिस्ट्री जैसी प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। Google Scholar पर उन्हें 390 उद्धरण मिले हैं, उनका h-index 9 और i10-index 8 है, जो उनके प्रभावशाली शोध कार्य का प्रमाण हैं।
सिर्फ अकादमिक जगत ही नहीं, बल्कि खाद्य उद्योग में भी डॉ. उफ़ाक का अनुभव उल्लेखनीय है। उन्होंने बिसलेरी इंटरनेशनल में कार्य किया है और FIL इंडस्ट्रीज लिमिटेड में इंटर्नशिप की है, जिससे उन्हें खाद्य गुणवत्ता और प्रसंस्करण के व्यावहारिक पक्षों की गहरी समझ है।
सम्मान और उपलब्धियाँ बनीं प्रेरणा का स्रोत
डॉ. उफ़ाक को हाल ही में उनके उत्कृष्ट शोध प्रकाशनों के लिए “अचीवर ऑफ़ द ईयर 2024” का खिताब भी मिला है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने एम.टेक और बी.टेक दोनों पाठ्यक्रमों में द्वितीय स्थान प्राप्त कर योग्यता प्रमाणपत्र हासिल किया।
कुल मिलाकर, डॉ. उफ़ाक वानी की यह उपलब्धि न केवल कश्मीर बल्कि पूरे देश के लिए गौरव की बात है। उनका शोध कार्य न केवल पारंपरिक चावल को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाएगा, बल्कि भविष्य में पोषक और कार्यात्मक खाद्य विकास की दिशा में भी क्रांतिकारी भूमिका निभा सकता है।