
पोलैंड, चोरजोव: भारत के भाला फेंक चैंपियन और ओलंपिक पदक विजेता नीरज चोपड़ा ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर शानदार प्रदर्शन करते हुए देश को गर्व का मौका दिया है। शुक्रवार को आयोजित जनुश कुसोसिन्स्की मेमोरियल एथलेटिक्स मीट में नीरज ने 84.14 मीटर की थ्रो के साथ दूसरा स्थान हासिल किया।
यह इस सीजन में उनका तीसरा पदक है, हालांकि वह दोहा डायमंड लीग में किए गए अपने बेहतरीन प्रदर्शन को दोहराने में असफल रहे, जहां उन्होंने 88.36 मीटर के थ्रो के साथ सिल्वर जीता था।
लय में लौटे अंतिम प्रयास में
प्रतियोगिता के पहले हिस्से में नीरज लय हासिल करने के लिए संघर्ष करते नजर आए। शुरुआती थ्रो में फाउल और कम दूरी के कारण वह शीर्ष पर नहीं आ सके। पहले प्रयास में फाउल हुआ, दूसरा थ्रो 81.28 मीटर तक पहुंचा, जो उनकी अपेक्षाओं से कम था। तीसरे और चौथे थ्रो में भी उन्हें फाउल का सामना करना पड़ा।
पांचवें प्रयास में उन्होंने थ्रो नहीं किया, लेकिन छठे और अंतिम राउंड में उन्होंने पूरा जोर लगाते हुए 84.14 मीटर तक भाला फेंका, जिससे उन्होंने कांस्य पदक की दौड़ में आगे निकलते हुए रजत पदक पक्का किया।
जूलियन वेबर ने मारी बाज़ी, एंडरसन पीटर्स तीसरे स्थान पर
प्रतियोगिता में पहला स्थान जर्मनी के अनुभवी एथलीट जूलियन वेबर को मिला, जिन्होंने 86.12 मीटर की दूरी तय कर स्वर्ण पदक जीता। वेबर पूरे इवेंट में स्थिर और सटीक प्रदर्शन करते रहे और अंत तक अपनी बढ़त बनाए रखी।
वहीं, ग्रेनेडा के एंडरसन पीटर्स ने 83.24 मीटर के थ्रो के साथ कांस्य पदक जीता। नीरज ने उन्हें अंतिम राउंड में पछाड़ते हुए दूसरा स्थान हासिल किया।
पिछले प्रदर्शन से थोड़ी कमज़ोर लय
पिछले सप्ताह दोहा में 88 मीटर से अधिक की थ्रो के साथ नीरज ने अपने करियर की अब तक की सबसे प्रभावशाली शुरुआत की थी। हालांकि पोलैंड में वह उसी आत्मविश्वास और फॉर्म को दोहरा नहीं पाए। इसके बावजूद उनकी तकनीकी मजबूती और मानसिक संतुलन ने उन्हें प्रतियोगिता में मजबूती से टिके रहने में मदद की।
आगामी टूर्नामेंट के लिए बढ़ा आत्मविश्वास
नीरज चोपड़ा की यह उपलब्धि न केवल इस सीजन में उनके निरंतर प्रदर्शन का संकेत देती है, बल्कि आगामी पेरिस ओलंपिक 2024 और वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप की तैयारियों के लिए भी एक अहम संकेत है। वह लगातार अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत के लिए पदक ला रहे हैं और अपने खेल में निरंतर सुधार कर रहे हैं।
कोचिंग स्टाफ से चर्चा के बाद नई रणनीति
नीरज चोपड़ा अब अपनी तकनीक और थ्रो की निरंतरता पर ध्यान देंगे। उनके कोचिंग स्टाफ ने संकेत दिया है कि अगली कुछ प्रतियोगिताओं में वह नए थ्रो पैटर्न और फिटनेस शेड्यूल पर काम करेंगे, जिससे वह 90 मीटर क्लब में स्थायी रूप से जगह बना सकें।
नीरज चोपड़ा का यह प्रदर्शन भले ही स्वर्ण पदक नहीं दिला पाया, लेकिन उन्होंने फिर से दिखा दिया कि वह किसी भी परिस्थिति में वापसी कर सकते हैं। भारत को उनसे भविष्य में और भी बड़ी उम्मीदें हैं।