
मुंबई: कई हेज फंड मैनेजर्स ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) से बाजार में हो रही कथित हेराफेरी की जांच करने का अनुरोध किया है। उनका कहना है कि हाल ही में देखे गए असामान्य व्यापारिक पैटर्न, अत्यधिक अस्थिरता और कृत्रिम मूल्य उतार-चढ़ाव के कारण वे मुनाफा कमाने में संघर्ष कर रहे हैं। इस मुद्दे पर चिंता बढ़ने के साथ ही, फंड मैनेजर्स का मानना है कि बाजार में कुछ ताकतें संगठित रूप से ट्रेडिंग माहौल को प्रभावित कर रही हैं, जिससे निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा बाधित हो रही है।
हेज फंड्स के लिए बढ़ी चुनौतियाँ
बीते कुछ महीनों में हेज फंड्स ने अचानक होने वाले मूल्य परिवर्तनों, असामान्य ऑर्डर फ्लो और कुछ शेयरों में अप्रत्याशित उछाल को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि इस प्रकार की गतिविधियों के चलते वे प्रभावी ट्रेडिंग रणनीतियाँ लागू करने और लाभ अर्जित करने में असमर्थ हो रहे हैं।
एक वरिष्ठ हेज फंड अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हमने ऐसे बाजार पैटर्न देखे हैं जो मौलिक आर्थिक संकेतकों या सामान्य व्यापारिक प्रवृत्तियों से मेल नहीं खाते। कुछ शेयरों में मिनटों में तेज उतार-चढ़ाव देखा गया है, जिससे ट्रेडिंग करना बेहद मुश्किल हो गया है।”
एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग और ‘पंप-एंड-डंप’ स्कीम पर शक
सूत्रों के अनुसार, हेज फंड्स को संदेह है कि हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग (HFT) फर्म्स और एल्गोरिदमिक ट्रेडर्स बाजार में कृत्रिम रूप से कीमतें प्रभावित कर रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ व्यापारिक समूह शेयरों की कीमतों को कृत्रिम रूप से बढ़ाने और फिर अचानक गिराने (पंप-एंड-डंप स्कीम) में शामिल हो सकते हैं, जिससे खुदरा और संस्थागत निवेशकों को नुकसान हो रहा है।
इसके अलावा, कुछ हेज फंड मैनेजर्स ने यह भी दावा किया है कि एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग का दुरुपयोग करके कुछ निवेशक नकली ब्रेकआउट बना रहे हैं, जिससे अन्य ट्रेडर्स फंस जाते हैं और बड़े पैमाने पर घाटा झेलते हैं।
SEBI की संभावित कार्रवाई
SEBI अब इन शिकायतों की प्रारंभिक समीक्षा और बाजार डेटा का विश्लेषण कर सकता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या वास्तव में हेराफेरी हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि नियामक संस्था बाजार में कड़ी निगरानी, एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग ऑडिट और ऑर्डर निष्पादन पर सख्त नियंत्रण लागू कर सकती है।
SEBI के एक पूर्व अधिकारी ने कहा, “बाजार में हेराफेरी एक गंभीर मुद्दा है और SEBI ने इस तरह की गतिविधियों पर हमेशा कड़ी कार्रवाई की है। यदि कोई अनियमितता पाई जाती है, तो कठोर दंड और नियामक हस्तक्षेप संभव हैं।”
उद्योग जगत ने निष्पक्ष ट्रेडिंग की मांग की
हेज फंड्स, जो बाजार में तरलता और मूल्य खोज (प्राइस डिस्कवरी) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, अब SEBI से आग्रह कर रहे हैं कि वह सख्त निगरानी और सुधार लागू करे ताकि निष्पक्ष ट्रेडिंग सुनिश्चित हो सके। SEBI की संभावित जांच का असर न केवल हेज फंड्स बल्कि समग्र निवेशकों के विश्वास और बाजार की पारदर्शिता पर भी पड़ेगा।